खुसूर-फुसूर
एक मुश्त तीन माह खाद्यान्न में लफडा न हो जाए
देश की सरकार ने कोरोना काल में गरीबों का ध्यान रखते हुए नि:शुल्क अनाज दिया। उसके बाद से यह योजना तकरीबन प्रदेश के साथ मिलकर निश्चित ही हो गई। गरीबों को सरकार की यह सहायता बहुत ही मददगार है। हाल ही में सरकार ने वास्तविक गरीबों तक इस खाद्यान्न के पहुंचने को लेकर अच्छे कदम उठाए हैं। इसके तहत ई-केवायसी हितग्राहियों की करवाई गई है। प्रदेश के सभी जिलों में जितना खाद्यान्न जा रहा था उसके एवज में हितग्राहियों की ई केवायसी नहीं की गई है। इससे साफ है की कहीं कुछ लफडा चल रहा था। प्रदेश भर में लाखों नाम हटाए भी गए हैं। अब सरकार ने निर्णय लिया है कि आगामी मानसून सत्र को देखते हुए हितग्राहियों को तीन माह का एक मुश्त खाद्यान्न उपलब्ध करवाया जाएगा। उसके तहत तीन बार संबंधित हितग्राही को अंगुठा लगाना होगा। ऐसे में कतिपय दुकानों पर हितग्राहियों के साथ लफडा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। दुकानों पर अधिकांश घर के वरिष्ठ ही खाद्यान्न लेते देखे गए है। ऐसे में उनके साथ लफडे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। सामान्य तौर पर ही कई दुकानों पर हितग्राहियों को दो से तीन चक्कर लगवाए जाते हैं। अभी आवंटन नहीं मिला है… दो दिन बाद माल उठाकर लाएंगे तब आना जैसे जूमले के तहत हितग्राहियों को टरकाया जाता है । हिंतग्राही दुकानदारों की शिकायत डर के कारण नहीं करते हैं। खुसूर-फुसूर है कि हितग्राही को तीन माह के खाद्यान्न को लेकर सतर्क हो कर ही दुकानदार से व्यवहार करना होगा। अन्यथा अंगुठा ठीक से नहीं लगा और एक बार फिर से अंगुठा लगाने के फेर में गरीब का खाद्यान्न हजम होने में देर नहीं लगेगी।
