खुसूर-फुसूर आमजन से जुडने की और

खुसूर-फुसूर

आमजन से जुडने की और

प्रमुख विपक्षी दल ने अपने संगठन में सृजन की कवायद प्रदेश में शुरू कर दी है। इससे पूर्व पास के गुजरात में भी दल ने अपने संगठन के सृजन को अमलीजामा पहनाया है। संगठन ने बेहतर रूप से नितीगत निर्णय लेते हुए संगठन सृजन में आमजन की हिस्सेदारी को भी महत्व दिया है। लोकतंत्र में जनता ही सबकुछ है इसे अधिक महत्व के साथ संगठन ने अपनी सृजन की इस कवायद को आगे बढाना शुरू किया है। सृजन के इस क्रम में सभी की राय को महत्व देने का महत्वपूर्ण निर्णय उसके कार्यकर्ताओं में नई जान फूंक रहे हैं। संगठन सृजन के लिए दल ने अपनी प्रारंभिक प्रक्रिया के लिए शहर में पर्यवेक्षक भेजे हैं। संगठन की जो सोच है अगर वह असल मायने में उसी तर्ज पर उपर तक चली तो उसे जनता के बीच से शहर ओर जिला स्तर पर नेतृत्व मिलेगा और आमजन से जुडा हुआ मिलेगा। संगठन के कार्यकर्ता भी इस बात से उत्साहित हैं कि सृजन में आमजन से जुडे जमीनी कार्यकर्ताओं एवं नेताओं को काम करने का अवसर और नेतृत्व मिलेगा । इससे संगठन में मजबूती भी आएगी और जनता से उसका जुडाव भी होगा। सृजन के लिए आए पर्यवेक्षक संगठन के शहर और जिला के नेतृत्व को लेकर शहर के आमजन,समाजसेवियों सहित अनेक लोगों से उनकी राय भी लेंगे । धरातल से नेतृत्व को लाने और उसे उभारने का यह सृजन निश्चित तौर पर संगठन को मजबूती देगा। खुसूर-फुसूर है कि जिस प्रकार से सृजन की शुरूआत हुई है अगर वह सिरे से अंत तक ऐसा ही चला तो सही मायने में उसे बेहतर नेतृत्व मिलना तय है । कार्यकर्ताओं की मंशा भी यही है कि संगठन में सृजन ऐसे ही किया जाए। उपर से बडे नेताओं के पट्ठों को पुरस्कृत करने की पुरानी परंपरा पर अब लगाम लगना ही चाहिए जिससे वर्तमान में मजबूत लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष की भूमिका अदा की जा सके।

 

Share:

संबंधित समाचार

Leave a Comment