उज्जैन। इस बार मानसून की आमद अरब सागर के साथ ही बंगाल की खाडी से आने वाली मानसूनी हवाओं के सक्रिय होने से डबल स्पीड में है। मानसून के आते ही दिन का तापमान धडाम हो गया है। आमजन ने उमस और तपन से राहत मिली है। मानसून के शुरूआती दौर में 3.0 मिली मीटर बारिश दर्ज की गई है। मानसून आने से किसानों के चेहरे खिल गए हैं और उनका रूख खेतों की और हो गया है। आगामी समय में खेतों में बोवनी की शुरूआत होने वाली है।
मानसून के आने का इंतजार सबसे अधिक किसानों को होता है। इसके साथ ही प्रकृति में नई छटा बिखरने लगती है। गुरूवार से सक्रिय हुए मानसून से सभी को राहत मिली है। 10 साल में दूसरी बार यह 18 जून को आया है। इसके पहले 18 जून 2021 को इसकी आमद हुई थी। मानसून की पहली बारिश में जीवाजी वेधशाला में 3.0 मिली मीटर वर्षा दर्ज की गई है। इससे पूर्व प्रि मानसून में 28 मिली मीटर वर्षा दर्ज की जा चुकी है।
ऐसे बन रही डबल स्पीड-
अरब सागर के रास्ते इसका शहर में प्रवेश हुआ है। उसके पहले शहर का मौसम बदल गया। दिन में कहीं हल्की तो कहीं मध्यम बारिश हुई। मानसून ने 35 जिलों में दस्तक दी। इस बार मानसून बुरहानपुर के रास्ते से एमपी पहुंचा। मानसून अब राज्य के पूर्वी हिस्सों में तूफानी हवाओं के साथ भी नई एंट्री करने वाला है। मध्य प्रदेश में मानसून आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम से, यानी बुरहानपुर, खरगोन और बड़वानी जैसे क्षेत्रों से प्रवेश करता है, जो अरब सागर की मानसूनी शाखा से प्रभावित होता है। हालांकि, इस बार जबलपुर के रास्ते बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाएं भी एक्टिव हैं। ऐसे में डबल स्पीड से मध्य प्रदेश में मानसून को पूरे राज्य में फैलाने में मदद कर रही हैं। मौसम विशेषज्ञ डॉ. सतीश चंद्रा के मुताबिक जबलपुर में कम दबाव का क्षेत्र और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाएं मानसून को प्रदेश के पूर्वी और मध्य क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ा रही हैं। जून में सामान्य से ज्यादा बारिश का अनुमान लगाया जा रहा है। मौसम विभाग का अनुमान है कि जबलपुर से प्रवेश करने वाली मानसूनी हवाएं और बुरहानपुर से फैल रहा मानसून 20 जून तक पूरे मध्य प्रदेश को कवर कर सकता है। जबलपुर में कम दबाव का क्षेत्र अगले 48 घंटों में और सक्रिय रहेगा, जिससे भारी से अतिभारी बारिश हो सकती है।
शहर की सडकों पर कीचड की रेलमपेल-
मानसून आने के साथ ही शहर की स्थिति में गंदगी और किचड साफ तौर पर सामने आया है। कालोनियों में टाटा की खुदाई से बना किचड बारिश के साथ ही सडकों और चारों और फैल गया है। शहर की मुख्य सडकों पर भी यही हाल कायम हैं। जगह-जगह खुदाई के बाद ठीक से मिट्टी की सफाई नहीं होने के कारण किचड फैलने की स्थिति बनी है। हालांकि कम बारिश होने के कारण ऐसी स्थिति अभी सामने है। तेज बारिश के बाद सडकों की धुलाई का प्राकृतिक काम होने पर इतना किचड और गंदगी सामने नहीं होगी। उसके बाद नालियों से उबरकर बाहर आने वाले पानी से गंदगी सडकों पर पसरेगी।
दिन का तापमान धडाम-
मानसून के आने के साथ ही दिन के अधिकतम तापमान में जोरदार गिरावट हुई है।गुरूवार को सुबह से ही बादल शाम तक आसमान पर छाए रहे । इस दौरान सूर्य के दर्शन नहीं हुए। तापमान में गिरावट से आमजन ने उमस एवं तपिश से राहत ली है। गुरूवार को शासकीय जीवाजी वेधशाला में रात का न्यूनतम तापमान 25.5, दिन का अधिकतम तापमान 27.5 डिग्री सेंटीग्रेड दर्ज किया गया। आर्द्रता सुबह 89 शाम को 87 प्रतिशत दर्ज की गई है।सुबह 12 एवं शाम को 10 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चली हैं।
पिछले 4 दिनों में ऐसे नीचे आया तापमान-
दिनांक न्यूनतम अधिकतम
16जून 27.0 38.0
17 जून 24.8 33.0
18जून 24.5 31.7
19जून 25.5 27.5
स्त्रोत –शासकीय जीवाजी वेधशाला,उज्जैन। नोट –आंकडे सेंटीग्रेड में हैं।
किसानों के चेहरे खिले,रूख खेतों की और-
मानसून के आगमन के साथ ही किसानों के चेहरे खिल गए हैं। किसानों का रूख खेतों की और हो गया है। किसान के लिए प्राथमिकता पर बोवनी का काम आ गया है। भारतीय किसान संघ के प्रांताध्यक्ष कमलसिंह आंजना बताते हैं कि बोवनी के लिए खेतों को तैयार किया जा रहा है। प्रारंभिक दवाई छिडकाव का काम हो चुका है। बीज का उपचार कर उसे बोवनी के लिए सुखाया जा चुका है।अब सीधे खेतों में बोवनी के लिए किसान पहुंचना शुरू हो रहे हैं।
प्रदेश में मक्का का रकबा बढेगा-
श्री आंजना बताते हैं कि मालवा क्षेत्र में सर्वाधिक सोयाबीन की बोवनी होना है। इसके विरूद्ध अशोकनगर,गुना ,बीना क्षेत्र में मक्का का रकबा बढा है। इसके साथ ही प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी मक्का का रकबा बढने की और है। सोयाबीन से धीरे-धीरे किसान का मोह भंग होने की स्थिति बन रही है। निमाड में कपास की बोवनी होना शुरू हो चुकी है।
