‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की हकीकत: आधे पौधे सूखे, ट्री-गार्ड का टेंडर फाइलों में दबा

‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की हकीकत: आधे पौधे सूखे, ट्री-गार्ड का टेंडर फाइलों में दबा

उज्जैन नगर निगम का ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान हकीकत में जमीन पर विफल साबित हो रहा है। पिछले साल निगम ने जनसहयोग से करीब एक लाख पौधे लगाए थे। इनकी सुरक्षा के लिए 27 लाख रुपए के ट्री-गार्ड का टेंडर निकाला गया, कंपनियों ने इसमें रुचि भी दिखाई, लेकिन अफसरों ने दर ही स्वीकृत नहीं की। नतीजा, ट्री-गार्ड कभी नहीं लग पाए और खुले में पड़े पौधे मवेशियों द्वारा नष्ट या सूख गए। अनुमान है कि 50 प्रतिशत पौधे बर्बाद हो चुके हैं।

फाइलों में दबा प्रोजेक्ट
नगर निगम के उद्यान विभाग और एनकेप (राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम) की टीम ने संयुक्त रूप से ट्री-गार्ड का प्रस्ताव तैयार किया था। लेकिन एक साल बीतने के बाद भी यह फाइल आगे नहीं बढ़ी। विभागीय इंजीनियर्स के अनुसार, अफसरों ने इस प्रोजेक्ट की जानकारी लेना भी बंद कर दिया है और एनकेप टीम अब अन्य जगह काम कर रही है।

इस साल भी पौधारोपण, लेकिन सुरक्षा अधूरी
हरियाली अमावस्या के मौके पर इस साल नगर निगम ने 6 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा था, पर 4090 पौधे ही रोपे गए। ये पौधे शहर के विभिन्न जोनों में लगाए गए—

  • जोन 1: इंदिरानगर (70 पौधे), अलकनंदा स्कूल (80), छपाक स्वीमिंग पूल (30)

  • जोन 2: वार्ड 4 (210), गायत्रीनगर (150)

  • जोन 3: क्षीरसागर (250), नृसिंह घाट (350)

  • जोन 4: विक्रम वाटिका (500), नेहरू उद्यान (50), ऋषिनगर पेट्रोल पंप (100)

  • जोन 5: चकोर पार्क (500), सुदामानगर डिवाइडर (180)

  • जोन 6: वार्ड 49 (500), वार्ड 53 (10)

हालांकि, इन नए पौधों के लिए भी ट्री-गार्ड की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। कई जगहों पर जगह की कमी के बावजूद पौधारोपण का दावा किया जा रहा है, जिससे अभियान की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।

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