उज्जैन में शिक्षक दिवस पर बनेगा इतिहास: 1114 शिक्षकों को मिलेगा सम्मान, रचा गया नया रिकॉर्ड
उज्जैन | 1 सितम्बर 2025
शिक्षा सिर्फ़ एक पेशा नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की सबसे महत्वपूर्ण नींव है। इसी नींव को मजबूत बनाने वाले शिक्षकों के सम्मान में इस बार उज्जैन में एक ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है। शिक्षक दिवस (5 सितम्बर) पर जिले के हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों के 1114 शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा। यह संख्या अब तक के पिछले सभी आयोजनों से कहीं ज्यादा है और अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
शिक्षक दिवस पर विशेष कार्यक्रम
जिला शिक्षा विभाग ने जानकारी दी कि यह भव्य कार्यक्रम कालिदास अकादमी, विशाला के मुक्ताकाशी मंच पर आयोजित होगा। इस दौरान 100% परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों को मंच पर सम्मानित किया जाएगा।
जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) आनंद शर्मा ने बताया कि,
“सम्मान समारोह के साथ ही मध्य प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, भोपाल की ओर से एक कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी। इसमें बाल अधिकार और पॉक्सो एक्ट पर शिक्षकों को जागरूक किया जाएगा।”
इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल शिक्षकों को सम्मान देना है बल्कि उन्हें बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा से जुड़े कानूनी पहलुओं पर भी संवेदनशील बनाना है।
रिकॉर्ड तोड़ उपलब्धि
इस साल उज्जैन जिले में हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों के कुल 1850 शिक्षकों में से 1114 शिक्षकों ने 100% रिजल्ट दिया है। यह आंकड़ा अपने आप में प्रेरणादायक है और जिले की शिक्षा गुणवत्ता का प्रमाण भी।
एडीपीसी गिरीश तिवारी ने बताया,
“इस साल का परिणाम उज्जैन जिले के लिए ऐतिहासिक रहा है। 1114 शिक्षकों का एक साथ सम्मानित होना दर्शाता है कि जिले के स्कूलों ने शिक्षा की गुणवत्ता में बड़ी छलांग लगाई है।”
लगातार तीसरा आयोजन
यह आयोजन उज्जैन में लगातार तीसरी बार किया जा रहा है।
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साल 2023 – 577 शिक्षक सम्मानित हुए थे।
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साल 2024 – 604 शिक्षकों को सम्मान मिला।
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साल 2025 – यह संख्या बढ़कर 1114 तक पहुंच गई।
हर साल शिक्षकों की बढ़ती संख्या इस बात का संकेत है कि जिले में शिक्षा का स्तर लगातार ऊँचाई पर जा रहा है।
क्यों ज़रूरी है शिक्षकों का सम्मान?
भारत में शिक्षक को गुरु का दर्जा दिया गया है। गुरु सिर्फ़ ज्ञान ही नहीं देते, बल्कि जीवन जीने का तरीका भी सिखाते हैं। ऐसे में उनका सम्मान करना समाज की जिम्मेदारी बन जाती है।
आज के समय में जब शिक्षा को केवल रोजगार से जोड़कर देखा जाता है, तब ऐसे आयोजन यह याद दिलाते हैं कि शिक्षक समाज का सबसे मजबूत स्तंभ हैं।
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शिक्षक ही बच्चों में नैतिक मूल्य और अनुशासन की नींव रखते हैं।
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परीक्षा परिणाम केवल अंकों का खेल नहीं, बल्कि शिक्षक की मेहनत और समर्पण का प्रमाण है।
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सम्मान से शिक्षक और भी प्रेरित होते हैं और अपने कार्य को और बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।
शिक्षा में उज्जैन का योगदान
उज्जैन न सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर है, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी लगातार आगे बढ़ रहा है। यहां के स्कूलों ने पिछले कुछ वर्षों में कई उपलब्धियां हासिल की हैं।
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सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में परिणाम लगातार बेहतर हुए हैं।
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विद्यार्थियों की प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता का प्रतिशत भी बढ़ा है।
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नवाचार और तकनीक का उपयोग शिक्षा पद्धति में तेजी से बढ़ा है।
शिक्षक दिवस का महत्व
शिक्षक दिवस हर साल 5 सितम्बर को मनाया जाता है। यह दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो एक महान शिक्षक, दार्शनिक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे।
डॉ. राधाकृष्णन का मानना था कि
“सच्चे शिक्षक वही हैं जो शिक्षा के माध्यम से समाज को नई दिशा देते हैं।”
इसलिए, यह दिन शिक्षकों को समर्पित कर उन्हें सम्मानित करना बेहद खास है।
बाल अधिकार और पॉक्सो एक्ट पर कार्यशाला
सम्मान समारोह के साथ होने वाली कार्यशाला भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। बच्चों की सुरक्षा और अधिकार आज के दौर में सबसे बड़ी चुनौती है।
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पॉक्सो एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012) बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है।
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शिक्षक यदि इस कानून से पूरी तरह परिचित हों, तो वे बच्चों को बेहतर तरीके से सुरक्षित वातावरण दे सकते हैं।
इस कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों को केवल पढ़ाई तक सीमित न रखते हुए उन्हें बच्चों के संपूर्ण विकास और सुरक्षा में सहभागी बनाना है।
समाज और अभिभावकों का दृष्टिकोण
यह सम्मान समारोह न सिर्फ शिक्षकों बल्कि अभिभावकों और समाज के लिए भी संदेश है। अभिभावक जब देखते हैं कि उनके बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक सम्मानित हो रहे हैं, तो उनका विश्वास और भी मजबूत होता है।
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यह बच्चों को भी प्रेरित करता है कि वे मेहनत से पढ़ाई करें।
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समाज में शिक्षक की भूमिका और महत्व को और अधिक मान्यता मिलती है।
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शिक्षा का स्तर सामूहिक प्रयासों से और भी ऊँचाई छूता है।
आगे की राह
शिक्षा विभाग का लक्ष्य केवल 100% परिणाम तक सीमित नहीं है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता, विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास और आधुनिक तकनीक का समावेश भी प्राथमिकता में है।
उज्जैन में इस तरह के सम्मान समारोह आने वाले वर्षों में और भी बड़े स्तर पर होंगे। संभावना है कि अगले साल यह संख्या और बढ़ेगी और जिले को शिक्षा में प्रदेश स्तर पर पहचान मिलेगी।
निष्कर्ष
उज्जैन में 1114 शिक्षकों का एक साथ सम्मानित होना केवल एक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि यह संदेश है कि यदि शिक्षक और शिक्षा व्यवस्था मिलकर काम करें तो किसी भी जिले या राज्य की तस्वीर बदली जा सकती है।
शिक्षक दिवस का यह आयोजन न केवल शिक्षकों को सम्मान देगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी यह सिखाएगा कि
“सच्चा सम्मान उसी को मिलता है जो समाज और राष्ट्र निर्माण में अपना जीवन समर्पित करता है।”
