उज्जैन के चिंतामन गणेश मंदिर में एक लाख लड्डुओं का भोग

उज्जैन के चिंतामन गणेश मंदिर में एक लाख लड्डुओं का भोग

उज्जैन, गणेश चतुर्थी विशेष
गणेश चतुर्थी के अवसर पर उज्जैन से लगभग 6 किलोमीटर दूर स्थित प्रसिद्ध चिंतामन गणेश मंदिर में बुधवार को भगवान गणेश को एक लाख लड्डुओं का भोग लगाया गया। यही लड्डू दिनभर श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप वितरित किए जा रहे हैं। मंदिर सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहेगा।

तीन स्वरूपों में विराजमान भगवान गणेश

यह मंदिर देशभर के प्रमुख गणेश मंदिरों में गिना जाता है। यहां भगवान गणेश चिंतामन, इच्छामन और सिद्धिविनायक के तीन रूपों में एक साथ विराजमान हैं। मान्यता है कि इन प्रतिमाओं की स्थापना भगवान राम, लक्ष्मण और सीता जी ने की थी।

  • चिंतामण गणेश – भक्तों की चिंताएं दूर करते हैं।

  • इच्छामण गणेश – मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

  • सिद्धिविनायक – रिद्धि-सिद्धि प्रदान करते हैं।

विशेष मान्यताएं

यहां भक्त मंदिर के पीछे उल्टा स्वास्तिक बनाकर इच्छा मांगते हैं और जब वह पूरी हो जाती है तो वापस आकर सीधा स्वास्तिक बनाते हैं। कई भक्त रक्षा सूत्र बांधकर जाते हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर रक्षा सूत्र खोलने लौटते हैं।

उत्सव की झलकियां

  • सुबह 4 बजे पट खोले गए, 6:30 बजे चोला आरती और 7:30 बजे भोग आरती हुई।

  • भगवान को 56 भोग अर्पित किया गया।

  • प्रतिदिन दसों दिन भगवान को एक लाख लड्डुओं का भोग लगाया जाएगा।

  • रात 9:30 बजे शयन आरती होगी।

  • मंदिर को फूलों से सजाया गया है और सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं।

प्रसाद और श्रृंगार

श्रृंगार से पहले भगवान का दूध और जल से अभिषेक किया गया। विशेष रूप से मोदक और मोतीचूर के लड्डुओं का भोग लगाया गया। भक्त भगवान को तीन पत्ती वाली दूब चढ़ाते हैं। भगवान का श्रृंगार सिंदूर से किया जाता है।

ऐतिहासिक महत्व

मान्यता है कि वनवास काल में जब श्रीराम, लक्ष्मण और सीता इस स्थान पर आए थे, तो सीता जी की प्यास बुझाने के लिए लक्ष्मण जी ने यहां तीर मारकर जलधारा निकाली थी। आज भी इसे लक्ष्मण बावड़ी के नाम से जाना जाता है।
मंदिर का वर्तमान स्वरूप करीब 250 वर्ष पूर्व महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने बनवाया था, जबकि इसके स्तंभ परमार काल के माने जाते हैं।

👉 गणेश चतुर्थी पर उज्जैन के चिंतामन गणेश मंदिर में लगी भक्तों की भीड़, जहां भगवान गणेश एक साथ तीन स्वरूपों में विराजमान होकर आशीर्वाद देते हैं।

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