इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड कॉरिडोर का विरोध: किसानों ने 8 अक्टूबर को हातोद से ट्रैक्टर रैली का एलान
इंदौर। इंदौर-उज्जैन के बीच प्रस्तावित 48 किमी लंबे ग्रीन फील्ड हाईवे कॉरिडोर की योजना के खिलाफ किसानों में आक्रोश बढ़ रहा है। उन्होंने 8 अक्टूबर को हाथोद से इंदौर कलेक्ट्रेट तक 1,000 से अधिक ट्रैक्टरों की रैली निकालने का फैसला किया है और कॉरिडोर को स्थगित करने की मांग के साथ कलेक्ट्रेट का घेराव करेंगे।
प्रस्तावित कॉरिडोर: क्या है योजना?
-
इस हाईवे कॉरिडोर की लंबाई लगभग 48.10 किमी होगी। Projects Today
-
मार्ग की शुरुआत पित्रा पर्वत से होगी और यह सिंहस्थ बायपास, उज्जैन तक जाएगी। Projects Today
-
इस परियोजना का ठेका हाइब्रिड एन्युटी मोड (HAM) में लगाने का प्रस्ताव है, और पूरा कार्य दो वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। Projects Today
-
इससे स्थानीय सुधार एवं संपर्क सुगम होगा, खासकर सिंहस्थ 2028 आयोजन को देखते हुए।
किसानों की आपत्तियाँ
-
लगभग 188 हेक्टेयर उपजाऊ जमीन इस सड़क के निर्माण में प्रभावित होगी। Projects Today
-
स्थानीय किसान आरोप लगाते हैं कि मुआवजा गाइडलाइन के अनुसार केवल दोगुना है, जबकि जमीन का बाजार भाव पूछताछ से अधिक है।
-
कुछ किसानों की पूरी जमीन जा रही है, वहीं कुछ की जमीन बीच-बीच से कट जाएगी।
-
गायब जमीन की जगह दी जाए – लेकिन आसपास के 10 किमी में वैकल्पिक जमीन नहीं मिल रही।
-
कई किसान सुझाव दे रहे हैं कि नई सड़क बनाने के बजाय पहले से मौजूद मार्गों को चौड़ा करना चाहिए, जिससे जमीनों का नुकसान न्यूनतम हो।
आन्दोलन की रणनीति
-
किसान नेता बबलू जाधव ने कहा है कि यह आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा।
-
8 अक्टूबर को रैली निकालने के साथ-साथ किसानों की अन्य मांगें भी रखी जाएँगी, जैसे सोयाबीन की खरीदी समर्थन मूल्य पर, भावांतर योजना को स्थगित करना, प्याज की कीमतों में वृद्धि। OBNews
-
रैली के दौरान किसानों का ज्ञापन कलेक्ट्रेट को सौंपा जाएगा।
सरकार की मंशा और चुनौतियाँ
-
सरकारी तर्क है कि इस कॉरिडोर से इंदौर-उज्जैन के बीच यातायात और संपर्क बेहतर होगा, विशेषकर सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए।
-
इस प्रस्ताव को पहले ही मध्य प्रदेश की कैबिनेट ने मंजूरी दी है; इस योजना के तहत इसे फोर लेन + पावडेड शोल्डर रूप दिया जाना है।
-
लेकिन किसानों और स्थानीय लोगों की और से बढ़ती प्रतिरोध की लहर इस योजना की गति और प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकती है।
निष्कर्ष
इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड कॉरिडोर एक बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को दर्शाता है, लेकिन इसके साथ ही यह प्रश्न खड़ा करता है — विकास की राह किन हद तक मानव जिंदगियों और आजीविका के अधिकारों को काट सकती है? 8 अक्टूबर की ट्रैक्टर रैली इस संघर्ष को नई गति दे सकती है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार किस तरह से किसानों के हितों को संतुलित करते हुए आगे बढ़ती है।
