आयकर के एमपी एवं सीजी सर्किल में हजारों लोगों के टीडीएस रिफंड अटके

 

उज्जैन- भोपाल।  आयकर के एमपी एवं सीजी सर्किल में हजारों लोगों के टीडीएस रिफंड अटके हुए हैं। इसकी वजह विभाग द्वारा हाई-वैल्यू और रेड फ्लैग वाले संदिग्ध रिफंड क्लेम की जांच होना है। वित्त वर्ष 2025-26 में टैक्सपेयर्स द्वारा दाखिल टीडीएस क्लेम में हजारों दावे ऐसे है जो ऑनलाइन सिस्टम में संदिग्ध लग रहे थे।

अब इन्हें रेड फ्लैग कर अलग से जांच की जा रही है। इससे सबसे ज्यादा परेशान वे कारोबारी हैं, जिन्हें समय पर रिफंड न मिलने से व्यापारिक सौदे या कामकाज के लिए नकदी के संकट का सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों के अनुसार एमपी-सीजी में इस साल लगभग 10 हजार करोड़ का टीडीएस रिफंड क्लेम किया गया है। आयकर सूत्रों के मुताबिक 15 नवंबर तक यहां लगभग 25 फीसदी करदाताओं को रिफंड नहीं हुआ है, जो लगभग 3 हजार करोड़ तक हो सकता है। पिछले साल इस अवधि में एमपी-सीजी के 90 फीसदी टैक्सपेयर्स को टीडीएस क्लेम का भुगतान हो गया था।

आयकर विभाग और कर विशेषज्ञों के अनुसार टीडीएस रिफंड में देरी के कई कारण हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह इनकम टैक्स द्वारा अपनाई गई सख्त जांच प्रक्रिया है। विभाग ने जाली और गलत क्लेम पर नकेल कसने के लिए सत्यापन प्रक्रिया को सख्त करते हुए संदिग्ध केस की प्रोसेसिंग को जांच पूरी होने तक रोका हुआ है। दूसरा कारण डाटा का मिलान न होना है। दूसरी वजह रिफंड के लिए करदाता के इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर), फॉर्म 26 एएस, एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (एआईएस) और फॉर्म 16 में दर्ज जानकारी का आपस में मिलान न होना है। कंप्यूटराइज्ड सिस्टम से यह विसंगति पकड़ में आते ही रिफंड तब तक रोका जा रहा है, जब तक करदाता का स्पष्टीकरण न आ जाए। इसके अलावा कई टैक्स पेयर्स ने आईटीआर का ई-सत्यापन फाइल करने के 30 दिनों के भीतर नहीं किया है, जिससे रिटर्न अधूरा माना जा रहा है, जबकि कई करदाताओं के पैन-आधार लिंक न होने से भी रिफंड की प्रक्रिया अटकी हुई है। एमपी समेत देश भर में इस तरह की समस्या सामने आई है। देश भर में इस साल 1 अप्रैल से 10 नवंबर के बीच जारी की रिफंड राशि में 18 फीसदी की गिरावट है। इस अवधि में देश में कुल रिफंड लगभग 2.42 लाख करोड़ रुपए के जारी हुए हैं जो पिछले साल की तुलना से कम है। आयकर छूट की सीमा 12 लाख होने के बाद टैक्सपेयर्स ने इस साल रिफंड के दावे पिछले साल से कम किए हैं लेकिन नियमों में बदलाव का इस पर भी असर पड़ा है। पिछले दिनों भोपाल में हुई प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त एवं टीडीएस अफसरों की नेशनल कॉन्क्लेव में दो दिनों तकइस पर चर्चा हुई। आयकर विभाग राजस्व बढ़ाने के लिए टीडीएस रिफंड की राशि घटाने पर फोकस कर रहा है। इसके निर्देश आयकर और जीएसटी के अफसरों को दिए गए थे। हालांकि सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) के चेयरमैन रवि अग्रवाल भी मानते हैं कि टीडीएस रिफंड में देरी हुई है और कम मूल्य के रिफंड जारी किए जा रहे हैं। विभाग का दावा है कि दिसंबर के अंत तक अधिकांश लंबित रिफंड जारी कर दिए जाएंगे।

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