उज्जैन। मानसून के साथ ही संक्रमित बिमारियों की शुरूआत होना तय है। इस दौरान लंबे समय से जमा पानी में मच्छरों के लार्वा भी पनपेंगे और मलेरिया सहित डेंगू जैसे रोगों की शुरूआत होगी। शहरी क्षेत्र में बारिश के दौर में जगह-जगह भरे पानी के डबरों में मच्छरों के लार्वा पनपने का खतरा बढ़ गया है। मानसून की शुरुआत में ही जमा हो रहा पानी मच्छरजनित बीमारियों को निमंत्रण दे रहा है।
शहर की घनी आबादी और निचली बस्तियों में जाम पड़ी नालियों, सड़क किनारे गड्डों और खाली जगहों पर जमा गंदे पानी के साथ ही घरों की छतों पर कुंडे,एवं अन्य सामानों में जमा पानी के साथ ही कुलरों में लंबे समय तक जमा पानी में घातक लार्वा के पनपने का खतरा बढ़ गया है। इनके मच्छर में तब्दील होने पर बीमारी बढ़ने की आशंका बढ़ती ही जा रही है। मौसम में नमी से लार्वा को पलने और बढ़ने का मौका मिल रहा है। 16 से 36 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान लार्वा का जीवन चक्र पूरा करने के लिए पर्याप्त होता है। और अभी यही स्थिति रहने से बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ता ही जा रहा है।
मलेरिया विभाग ने चलाया अभियान-
मच्छर और लार्वा को लेकर वैसे तो हर वर्ष मानसून के आसपास ही मलेरिया विभाग कार्रवाई करता है। इस वर्ष मई में खासी वर्षा होने की स्थिति में जिला मलेरिया विभाग ने रथ जिले भर में करीब 20 दिन संचालित किया। इसके साथ ही लार्वा की स्थिति देखते हुए कई स्थानों पर दवाई डाली गई। मलेरिया विभाग के सूत्रों के अनुसार पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष अब तक मलेरिया के कम ही केस सामने आए हैं। विभाग के कर्मचारी क्षेत्रों में घूमकर गड्डों में जमा पानी में दवा डालने का काम भी कर रहे हैं।
मच्छरों से बचाव के लिए ये करें-
मच्छरों को नष्ट करने के लिए डीडीटी का छिड़काव किया जा सकता है। नहीं मिलने पर नालियों एवं जमा पानी के स्थान पर पुराने जले आईल का उपयोग किया जा सकता है। नालियों, पानी की टंकी, गमले में पानी इकट्ठा न होने दें। सप्ताह में एक बार पानी से भरी टंकियों, मटके व कूलर को खाली कर सूखा दें। पेयजल स्रोतों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता से टेमोफोस दवा का छिड़काव कराएं। पानी जमा होने से रोका नहीं जा सके तो केरोसिन या जला हुआ तेल छिड़के।
