मोथा तुफान का असर,दो दिन से नहीं पकडे गए कृष्णमृग बारिश ने बोमा पर लगाया ब्रेक,अभियान रूका -बारिश की बाधा से 295 के बाद आंकडा आगे नहीं बढ पाया

 

उज्जैन। मोथा तुफान का मध्यप्रदेश में भी असर हो रहा है। इसके असर से बारिश का दौर चल रहा है। मोथा तुफान के असर से हो रही बारिश के कारण पिछले दो दिनों से शाजापुर जिले में कृष्ण मृग पकडने के काम पर ब्रेक लग गया है। बोमा अभियान एक तरह से बारिश की वजह से रूक गया है। बकौल प्रभारी बोमा बीके पटेल शाजापुर जिले की पोलायकलां तहसील अंतर्गत उमरसिंगी गांव में बोमा लगाया हुआ है ,पिछले दो दिन से बारिश की वजह से इस पर ब्रेक लग गया है। श्री पटेल के अनुसार अब तक 295 कृष्णमृग पकडे गए हैं। अभियान के तहत पकडे गए जानवरों को मंदसौर जिले के गांधीसागर वन्यजीव अभ्यारण्य में छोडा जा चुका है। बारिश के रूकते ही अभ्यिान की शुरूआत करते हुए कृषकों के खेतों से कृष्णमृग पकडने का काम शुरू हो जाएगा। बारिश की वजह से बोमा में हेलीकाप्टर उडाने एवं उससे कृष्ण मृगों को घेरने में भी बाधा पैदा हो रही है।खाली समय में साईड अवलोकन-पिछले दो-तीन दिनों से अभियान पर बारिश से ब्रेक लगने के कारण दक्षिण अफ्रीका का दल एवं वन विभाग के अधिकारी विभिन्न स्थानों का सर्वे किया और बोमा लगाने के लिए उचित स्थानों का चयन किया। अभियान बारिश थमने के बाद फिर शुरू होगा। बारिश में यदि हिरणों को हेलिकॉप्टर से पकड़ा जाता तो कीचड़ होने से चोट लग सकती थी। जबकि, टीम को किसानों की फसलों को भी बचाना है और हिरणों की सुरक्षा भी करना है।दीपावली से शुरू हुआ था अभियान-15 अक्टूबर को साउथ अफ्रीका की टीम पहुंची थी। उसके बाद टीम ने काम शुरू किया और दीपावली को ही अच्छी संख्या में कृष्णमृगों को पकडा गया था। हिरणों का झुंड धीरे-धीरे गायब होने लगा, जिन्हें अब गांधी सागर में छोड़ा जा रहा है। अभियान से किसानों को भी फायदा लगा है, जिनकी फसलें अब लहलहाने लगी हैं, जिसे नुकसान पहुंचाने वाले होने हिरण अब कम होते जा रहे हैं।

अब तक 295 लक्ष्य 400 का-

टीम द्वारा 295 हिरणों को पकड़कर गांधीसागर अभयारण्य में छोड़ा जा चुका है। टीम को 400 हिरणों और 100 नीलगाय का लक्ष्य मिला है। इसके चलते यह अभियान आगामी 05 नवंबर तक जारी रहेगा। इसके बाद नया निर्णय लिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार शाजापुर जिले में वर्तमान में जिले में करीब 20 हजार काले हिरण और 02 हजार नीलगाय हैं। ये फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे किसान लंबे समय से परेशान हैं। साल 2022 में तत्कालीन स्कूल शिक्षा इंदर सिंह परमार ने इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाया था।

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