उज्जैन। उज्जैन जिले सहित पूरे प्रदेश में भले ही सरकार का फोकस सड़कों का जाल बिछाने पर है। लेकिन सरकार की मंशा पर लोक निर्माण विभाग के अधिकारी ही पानी फेर रहे हैं। खासकर सड़क निर्माण के कार्यों का प्रभावित किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार सड़क निर्माण की किसी योजना का टेंडर होता है तो अधिकारी उसे अपने पास दबाकर रख लेते हैं। इसका असर यह होता है कि सड़क निर्माण की योजना में या तो देरी हो जाती है या अधर में लटक जाती है।
जानकारी के अनुसार सड़क निर्माण की किसी योजना का टेंडर होता है तो अधिकारी उसे अपने पास दबाकर रख लेते हैं। इसका असर यह होता है कि सड़क निर्माण की योजना में या तो देरी हो जाती है या अधर में लटक जाती है।
जानकारों का कहना है कि अपने आपको वजनदार मानने वाले ये अधिकारी मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री की प्राथमिकता वाले कार्यों को भी महत्व नहीं दे रहे हैं।जानकारों की मानें तो लंबे समय से पदोन्नति नहीं होने की वजह से मुख्य अभियंता के पद रिक्त है। ऐसे में राज्य शासन ने इन पदों पर अधीक्षण यंत्रियों को बतौर प्रभारी पदस्थ किया है। कहा जा रहा है कि इनमें से कुछ अधिकारी अपनी ऊपरी पहुंच के चलते अपने हिसाब से अपनी पोस्टिंग कराते रहते हैं। कई बार इनमें से कुछ अधिकारियों से जुड़े मामले सामने भी आए है, लेकिन न तो उन पर विभाग द्वारा कोई किसी भी तरह का संज्ञान लिया जाता है। बताया गया है कि पिछले दिनों विभागीय मंत्री राकेश सिंह ने टेंडर कमेटी की बैठक ली, जिसमें यह बात सामने आई कि मुख्य अभियंताओं ने ऑनलाइन बिड निर्धारित समय पर खुलने के बाद भी स्वीकृति के लिए राज्य शासन को भेजने में बेवजह विलंब किया। इस पर मंत्री राकेश सिंह ने नाराजगी जताई और संबंधित अधिकारियों को नोटिस भेजकर कारण पूछने के निर्देश दिए।
