विश्व जैव विविधता दिवस 22 मई के अवसर पर आयोजन

समाज के हर वर्ग के अंतिम व्यक्ति की सहभागिता से ही बचेगी हमारी जैव विविधता….

इंदौर। पृथ्वी का सृजन ही विविधता से भरा हुआ है। यही जैव विविधता जीवन का आधार है। 22 मई को अन्तरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है । यानी धरती पर पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों की प्रजातियों के संरक्षण के संकल्प का दिन। लेकिन वर्तमान हालात भयावह हैं। भारत जैव विविधता से सम्पन्न देश है। दुनिया की कुल भूमि में से भारत के पास 2.4 फीसदी ही है लेकिन जैव विविधता में भारत की हिस्सेदारी 8 फीसदी है। भारत की गिनती दुनिया के 12 ‘विराट जैव विविधता’ वाले देशों में होती है। 45 हजार वनस्पतियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं जो विश्व की वनस्पतियों का 7 फीसदी हैं।

 

जन्तुओं की प्रजातियों में से 6.5 फीसदी भारत में पाई जाती हैं। दुनिया भर में जैव विविधता पाई जाती है लेकिन भारत में ये सबसे अनूठी है। यहाँ के पूर्वी और पश्चिमी घाट की जैव विविधता को दुनिया भर में एक मिसाल के रूप में देखा जाता है। जैव विविधता संरक्षण के प्रयास भी किए जा रहे हैं लेकिन प्रत्येक वर्ष जीवों और पौधों की कई प्रजातियाँ लुप्त हो गई जैव-विविधता का विशाल स्वरूप पारिस्थितिक-तंत्र को संतुलित रखने तथा मानव जीवन को अनुकूल बनाने में काफी मददगार साबित हुआ है। हालांकि असंतुलित आर्थिक विकास तथा जलवायु परिवर्तन की वजह पौधों और जीवों की कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं, जबकि कइयों का अस्तित्व खतरे में है। कुछ समय पहले आरटीआइ के जरिये जैव-विविधता प्राधिकरण से मिली जानकारी के मुताबिक देश में जीवों की 148 तथा वनस्पतियों की 132 प्रजातियां यानी कुल 280 प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं। मानव समाज के लिए यह एक चेतावनी है। ऐसी अवस्था में मनुष्य भी अपना अस्तित्व खो देगा।स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र तथा जीवन अनुकूल परिवेश के लिए जैव-विविधता का होना बेहद जरूरी है, लेकिन जागरूकता के अभाव के कारण इसको कई स्तर पर बर्बाद किया जा रहा है। इसके संरक्षण के प्रति हमारी निष्क्रियता ठीक नहीं।

 

हम अनेक स्तरों पर इसके संरक्षण के निमित्त प्रयास कर सकते हैं। मानवीय गतिविधियों पर लगाम लगाने के साथ इसके संरक्षण हेतु समाज में जागरूकता की अलख जगानी होगी, तभी हम जलवायु परिवर्तन के खतरे का सामना कर पाएंगे जिस पर अतिशीघ्र ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण जैसे गंभीर मुद्दे पर समाज के अंतिम वर्ग की सहभागिता भी अति आवश्यक है उक्त उदगार पर्यावरणविद स्वप्निल व्यास ने विश्व जैव विविधता दिवस के अवसर पर मालवमंथन द्वारा मध्य प्रदेश घरेलू कामकाजी संगठन के संयोजन में हुखमाखेड़ी लाल मल्टी में हर्बल फर्स्ट एड बॉक्स(औषधीय पौधों) का रोपण एवं संवाद कार्यक्रम में व्यक्त किए वही कार्यक्रम में सिस्टर नुरू,फ्रांसिना नेल्सन, आयुषी मंडलोई,राहुल अग्रवाल सहित महिला कामगार एवं क्षेत्रीय निवासी उपस्थित रहे।