ई रिक्शा की सुविधा बनी अब दुविधा

 

 

-यातायात , परिवहन विभाग चाह कर भी न ही नियंत्रण कर पा रहे न ही समस्या का निदान

उज्जैन। ई-रिक्शा अब तो शहर में इस नाम को सूनते ही आम राहगिर डरने लगा है। सुविधा के लिए शहर में सत्ता पक्ष के प्रश्रय से आई ई-रिक्शा ने जितने दिन आम जन को सुविधा नहीं दी है उससे ज्यादा यातायात की दुविधा खडी कर दी है। इस समस्या से पुराने शहर का हर दुसरा आमजन दो चार हो रहा है। यातायात विभाग और परिवहन विभाग चाह कर भी इस समस्या पर न तो नियंत्रण कर पा रहे हैं न ही निदान।

एक मई से शहर में ई रिक्शा जोन वार चलाने को लेकर निर्णय लिया गया था लेकिन आधा माह निकल जाने के बाद भी इस पर अमल नहीं हो सका है। सामने आ रहा है कि इस व्यवस्था के लिए ई-रिक्शा चालकों से संगठन बनाने एवं आवेदन मांगे गए थे। आवेदन के तहत निर्धारित किए गए 20 मार्ग में से चयनित मार्ग मांगे गए थे। कुछ माह चलाने के बाद ई-रिक्शा चालकों के मार्ग में परिवर्तन होना इसके तहत तय किया गया था। यह पूरा मामला धरातल पर ही दम तोडता नजर आ रहा है। ई-रिक्शा चालकों का इसमें कोई रूझान नहीं हैं।

यातायात समस्या,प्रदुषण मुक्ति का नशा काफूर-

लोक परिवहन के लिए प्रदुषण मुक्त वाहनों के संचालन को लेकर एक समय एक उत्साह था। आम जन का यह उत्साह अब यातायात समस्या में मुख्य कारण ई-रिक्शा के सामने आने पर काफूर हो चला है। आए दिन ई-रिक्शा के कारण होने वाली दुर्घटना और उनके वाहनों के संचालन की स्थिति में लायसेंस की जरूरत भी न होना बडी समस्या खडी कर रहा है। परिवहन विभाग के सूत्रों की माने तो करीब 7 हजार से अधिक ई-रिक्शा वैधानिक स्तर पर शहर में संचालित हो रही है। इसके साथ ही अवैधानिक स्तर पर करीब 4 हजार ई रिक्शा चलाई जा रही है। पूर्व से शहर में आटों करीब साढे तीन हजार हैं उनके साथ मैजिक एवं अन्य वाहनों की संख्या जोडी जाए तो जनसंख्या के अनुपात में यातायात में लोक परिवहन के साधनों में सबसे ज्यादा ई –रिक्शा शहर में चलाए जा रहे हैं। यातायात विभाग भी इस समस्या से दो-चार हो रहा है और परिवहन विभाग के लिए भी ये समस्या ही बन गया है। परिवहन विभाग को ना चाह कर भी अपने नियमों के तहत इनके पंजीयन करना पड रहे हैं। यातायात विभाग परिवहन के नियमों के तहत कडी कार्रवाई करने की स्थिति में नहीं है।

लाट में चलवा रहे,क्षेत्र में भी समस्या-

ई-रिक्शा एक सस्ता लोक परिवहन का साधन सामने आने के बाद कुछ लोगों ने इसे लाट में लेकर परिवहन के धंधे में इसका उपयोग जमकर करना शुरू कर दिया है। ऐसे लोग 8-10 ई-रिक्शा खरीद कर उन्हें किराए पर उपलब्ध करवा रहे हैं। इसका किराया 300 रूपए प्रतिदिन तक संबंधित चालक से वसूला जा रहा है। इसमें किसी दस्तावेज की जरूरत न होने से बाहर से रोजगार की तलाश में आए लोग बहुत जल्द इस काम में अपना रोजगार तलाश कर रहे हैं। महाकाल लोक बन जाने से आने वाले पर्यटक एवं अन्य यात्रियों के लिए यह सस्ता और सुलभ साधन तो हो ही गया है। इसके साथ ही पुराने शहर में यातायात की समस्या का बडा कारण भी बन गया है। लाट में ई –रिक्शा चलवाने वाले भी उनके क्षेत्रों में समस्या खडी कर रहे हैं। क्षेत्रीय रहवासियों के लिए आवागमन में खडे रहने वाले ई-रिक्शा की समस्या कालोनी और बस्तियों में बन रही है। एक ही नाम से परिवहन विभाग में 9 से अधिक ई-रिक्शा पंजीयन होने की जानकारी भी सामने आ रही है।

8 हजार ई-रिक्शा,आवेदन आए 2 दर्जन-

परिवहन विभागीय सूत्रों के अनुसार करीब 5 हजार ई-रिक्शा पंजीबद्ध हैं। इसके साथ ही 3हजार से अधिक गैर पंजीबद्ध ई-रिक्शा भी चल रहे हैं। इसके बाद भी जोन वार 20 निर्धारित रूट पर ई-रिक्शा संचालन की नई योजना के तहत पिछले पौन महीने में मात्र 2 दर्जन आवेदन ही विभाग के पास आए हैं। इन पर रूट को लेकर अभी कुछ तय नहीं किया गया है। इस संबंध में परिवहन अधिकारी से अधिकृत बयान के लिए संपर्क नहीं हो सका।