इंदौर नगर निगम में हुए बिल घोटाले ने अधिकारियों की नींद उड़ा दी: हैरान… इतना बड़ा घोटाला सालों तक कैसे चलता रहा

फर्जी बिलों को बिना जांच के ही मंजूर कर डाला, जिसके चलते 80 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान 5 ठगोरी फर्मों को हो गया

दैनिक अवन्तिका इंदौर

इंदौर नगर निगम में हुए बिल घोटाले ने अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। यह घोटाला जितना सोचा गया था, उससे कहीं अधिक साबित हुआ है। आयुक्त शिवम वर्मा द्वारा गठित जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट संबंधित दस्तावेजों के साथ तैयार कर ली, जो आयुक्त को सौंप दी जाएगी। इस जांच कमेटी का नेतृत्व अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन ने किया। सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में प्रथम दृष्ट्या आॅडिट और लेखा शाखा को ही दोषी माना गया है, जिसने फर्जी बिलों को बिना जांच के ही मंजूर कर डाला, जिसके चलते 80 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान 5 ठगोरी फर्मों को हो गया। जिन अपर आयुक्त के साइन इन फाइलों पर हैं, वे चूंकि फर्जी हैं, इसलिए सीधे-सीधे किसी बड़े अधिकारी का तो इस घोटाले में शामिल होना नहीं पाया गया।

अलबत्ता पुलिस ने इंजीनियर अभय राठौर को आरोपी बनाया है। वहीं इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड है, जिसे आयुक्त ने निलंबित भी कर दिया। बीते 10 सालों में इन पांच फर्मों ने जो ठेके हासिल किए या फर्जी बिल बनाए उससे जुड़ी 188 फाइलों को भी जांच में लिया गया, जिनके माध्यम से 107 करोड़ रुपए की राशि शामिल है, जिसमें से 80 करोड़ से ज्यादा हासिल भी कर लिए गए।

दूसरी तरफ पुलिस ने दो और नई फर्मों के खिलाफ भी कल एफआईआर दर्ज की, जो कि क्रिस्टल, इमरान खान और ईश्वर मौसम व्यास के द्वारा बनाई गई और इनके जरिए भी पांच करोड़ रुपए की राशि निकाल ली गई। दूसरी तरफ एमजी रोड थाना प्रभारी विजयसिंह सिसोदिया ने इन दोनों नई फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की पुष्टि के साथ ही यह भी बताया कि आॅपरेटर चेतन भदौरिया और उदय भदौरिया का पुलिस रिमांड कोर्ट ने 5 मई तक बढ़ा दिया। वहीं शेष आरोपियों, जो पुलिस गिरफ्त में हैं, उनकी रिमांड अवधि 7 मई तक मिल गई है। वहीं निगमायुक्त ने क्रिस्टल और ईश्वर दोनों फर्मों को भी काली सूची में डालने के आदेश जारी किए, क्योंकि प्राथमिक जांच में ही कूटरचना करते हुए चार देयकों के जरिए क्रिस्टल इंटरप्राइजेस ने 2.43 करोड़ रुपए तथा ईश्वर इंटरप्राइजेस ने 2.49 करोड़ का भुगतान निगम से हासिल कर लिया। वहीं इस मामले की गूंज चूंकि शासन स्तर तक पहुंच गई और विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के साथ ही महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी मुख्यमंत्री से उच्च स्तरीय जांच की मांग की।

कमेटी सभी पक्षों को समाहित कर जांच करेगी और दोषियों से गबन की राशि वसूली जाएगी
सामान्य प्रशासन विभाग ने निगम के फर्जी बिलों की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति के गठन की घोषणा भी कर दी। समिति के अध्यक्ष प्रमुख सचिव वाणिज्य कर अमित राठौर रहेंगे, जबकि सदस्यों के रूप में सचिव वित्त विभाग अजीत कुमार और लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को शामिल किया गया है। दूसरी तरफ आयुक्त नगरीय प्रशासन और विकास के पत्र के आधार पर वित्त विभाग द्वारा निगम में पदस्थ लोक फंड के समरसिंह परमार, उप संचालक जगदीश ओहरिया और रामेश्वर परमार को शासकीय कार्य में लापरवाही बरतने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू करवाई गई है। हालांकि बीजेपी और संघ खेमा इस बार से हैरान है कि इतना बड़ा घोटाला सालों तक कैसे चलता रहा। इसके पूर्व मनीष सिंह और प्रतिभा पाल जैसे अधिकारी आयुक्त के पद पर रहे लेकिन उनके रहते आखिर कैसे फर्जी बिलों के भुगतान होते रहे। इस बीच मालिनी गौड़ भी महापौर रही, हिंदूवादी छबि वाली इस नेता के महापौर रहते अल्पसंख्यक समुदाय के ठेकेदार कैसे उपकृत होते रहे, ये भी बड़ा सवाल है। इधर उच्च स्तरीय कमेटी के गठन करने संबंधी फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि ये कमेटी सभी पक्षों को समाहित कर जांच करेगी और दोषियों से गबन की गई राशि वसूली जाएगी।