बात प्लेसमेंट की… आईआईटी इंदौर हुआ एसजीएसआईटीएस से भी पीछे

एक सत्र में नहीं दे पा रहा 300 प्लेसमेंट

इंदौर। इंदौर जानकर आश्चर्य होगा कि, इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए अलग पहचान रखने वाले देश के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी इंदौर की छवि विद्यार्थियों को रोजगार देने के मामले में कमजोर हो गई है। प्लेसमेंट के मामले में आईआईटी इस शहर के प्रतिष्ठित संस्थान श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (एसजीएसआईटी एस) से भी पीछे आ गया है।

एसजीएसआईटीएस में हर साल 400 से ज्यादा प्लेसमेंट हो रहे हैं, वहीं आईआईटी में यह संख्या सिर्फ 200 के आसपास है।
समय के साथ हालात देखिए कि, जिस संस्थान में प्रवेश के लिए विद्यार्थी जेईई जैसी कठिन परीक्षा में अच्छे अंक लाकर दाखिला लेते हैं और लाखों रूपए फीस देते हैं, लेकिन पढ़ाई के बाद कुछ ही विद्यार्थियों को अच्छी नौकरी मिल पाती है।

इधर, एसजीएसआई टीएस पिछले 4 साल में 2157 विद्यार्थियों को नौकरी (प्लेसमेंट) दे चुका है।
सुविधा के बाद भी आधी संख्या-आंकड़ों के अनुसार एसजीएसआईटीएस के मुकाबले आईआईटी में यह संख्या आधी भी नहीं है।
इसी अवधि में यहां सिर्फ 801 आईआईटियन्स को ही रोजगार मिला है। सरकार से तमाम सुविधा और करोड़ों की फंडिंग के बाद भी आईआईटी अपने विद्यार्थियों को उस स्तर की शिक्षा नहीं दे पा रहा है, जो आजकल कंपनियों की जरूरत है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस साल भी अबआर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जमाने में एआई जनरेटिव, एआई बिजनेस एनेलिटिक्स, मशीन लर्निंग और एनेलिटिक्स जैसे कोर्सेस के विद्यार्थियों को कंपनियां ज्यादा रख रही है।

पहले 2021 से 2023 तक फाइनेंशियल एनेलिटिक्स के लिए उछाल आया था, वहीं, 2018 से 2020 तक आईटी सेक्टर में सबसे ज्यादा डिमांड थी।
आईआईटी इंदौर के केवल 228 विद्यार्थियों का चयन हुआ है, जबकि एसजीएसआईटीएस से 300 की संख्या पार हो गई है। जून तक चलने वाले प्लेसमेंट में दोनों संस्थानों में यह संख्या बढ़ सकती है।

डिग्री के साथ कौशल भी – —

दरअसल, एसजीएसआईटीएस द्वारा सिलेबस के साथ विद्यार्थियों की एक्स्ट्रा स्किल्स पर भी फोकस किया जाता है। थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल पार्ट भी समान रूप से करवाते हैं, ताकि उनका ज्ञान बढ़ सके। स्किल डेवलपमेंट के लिए अभी तक विभाग स्तर पर सर्टिफिकेट प्रोग्राम करवाते थे, लेकिन इस साल से विभाग के साथ संस्थान स्तर पर भी स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है, जिससे कंपनियों की एडवांस डिमांड को पूरा करते हुए ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों को प्लेसमेंट दे सकेगा।