मालवा निमाड़ में प्रचार के लिए राजस्थान के चार्मिंग चेहरे उतरेंगे, समाज के वोट जुगाड़ने के लिए कांग्रेस के नए पेतरे

 

इंदौर। प्रदेश के मालवांचल में गूजर और ओबीसी मतदाताओं को कांग्रेस के पक्ष में करने के लिए पार्टी अपने बड़े नेता राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की सभाएं कराएगी। मंदसौर, उज्जैन और देवास लोकसभा क्षेत्र में 25 अप्रैल को तीन सभाएं प्रस्तावित की गई हैं। इंदौर उज्जैन संभाग में 5 लाख से अधिक मतदाता गूजर समुदाय के हैं। इनको रिझाने के लिए सचिन पायलट को बुलाया जा रहा है। वही महिला और युवा मतदाताओं के लिए पार्टी ने महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का कार्यक्रम भी प्रस्तावित किया गया है।
पार्टी उनकी सभाएं मालवा के साथ-साथ ग्वालियर- चंबल अंचल में कराने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के कार्यक्रम तय हो गए हैं। वे देवास लोकसभा के अंतर्गत आने वाले सोनकच्छ विधानसभा में सभा को संबोधित करेंगे। मंदसौर और उज्जैन में भी सभा और कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे। पार्टी ने मंदसौर से दिलीप सिंह गुर्जर को उम्मीदवार बनाया है जो नागदा खाचरोद से विधानसभा चुनाव हार गए थे। उधर, उज्जैन से तराना विधायक महेश परमार चुनाव लड़ रहे हैं।

मुरैना में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का कार्यक्रम 24 अप्रैल को प्रस्तावित था, लेकिन अब वे नहीं आ रहे हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा का कार्यक्रम मांगा है, लेकिन अभी तक कोई अधिकृत जानकारी केंद्रीय कार्यालय से प्राप्त नहीं हुई है। उन्होंने जबलपुर से विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की थी, मगर लोकसभा चुनाव में अभी तक मध्य प्रदेश नहीं आई हैं। कांग्रेस ने इंदौर और उज्जैन संभाग में अपना चुनाव अभियान तेज कर दिया है।

मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए भाजपा विशेष प्रयास करेगी

मध्य प्रदेश में पहले चरण की छह सीटों सीधी, शहडोल, मंडला, जबलपुर, बालाघाट और छिंदवाड़ा में औसत मतदान 67.76 प्रतिशत दर्ज किया गया। यह इन सीटों पर पिछले चुनाव के मुकाबले 7.5 प्रतिशत कम है। भाजपा इस मामले में सजग हो गई है। सूत्रों के अनुसार मालवा और निमाड़ अंचल में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। दरअसल, इस समय ऐसा वातावरण भी है जिसमें एक दल विशेष बहुत आगे दिखाई दे रहा है। उसके प्रत्याशियों को चुनने वालों में आश्वस्ति का भाव कुछ इस कदर है कि माना जा रहा है कि वह तो ऐसे ही जीत रहे हैं। अतः जिताने की प्रेरक शक्ति का अभाव नजर आता है। इसके अलावा अन्य संभावित कारण यह भी हो सकता है कि आम आदमी राजनीतिक दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों से बहुत आशा नहीं लगाए हुए है। वह यह नहीं मान रहा कि उसके वोट देने से कुछ बड़ा बदलाव होने वाला है इसलिए भी वह थोड़ा सुस्त है। दोनों स्थितियां अच्छी नहीं कही जा सकतीं। जाहिर है भाजपा को इंदौर और उज्जैन संभाग में भी कार्यकर्ताओं की उदासीनता का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा इस मामले मेंचिंतित है। सूत्रों के अनुसार भाजपा के कतिपय महत्वपूर्ण नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मालवा प्रांत के शीर्ष पदाधिकारी से इस मामले में सलाह ली है।