इंदौर में डॉक्टर दंपति को 53 घंटे उनके ही घर में गिरफ्तार रखा साइबर अपराधियों ने

 

सीबीआई, आरबीआई और कस्टम अफसर बनकर वसूल लिए 8 लाख रुपए

इंदौर। शहर में डिजिटली अरेस्ट कर साइबर अपराधियों ने प्रतिष्ठित डॉक्टर दंपती को ड्रग, चाइल्ड स्मगलिंग और मनी लांड्रिंग जैसे घोटाले में फंसे होने का डर बता कर लाखों रुपए वसूल लिए। उन्हें 53 घंटे तक कैमरे (ऑनलाइन) की निगरानी में रखा और किसी को कानों कान खबर तक नहीं होने दी। दंपति ने राज्य साइबर सेल, अपराध शाखा और हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज करवाई है।
राऊ निवासी डॉक्टर के पास
शहर में डिजिटली हाऊस अरेस्ट कर लाखों रुपये वसूलने का मामला सामने आया है। साइबर अपराधियों ने डॉक्टर दंपति को इस घोटाले का शिकार बनाया। साइबर सेल, क्राइम ब्रांच ने 1930 हेल्पलाइन ने इस अपराध की जांच शुरु कर दी है।
बताया जाता है कि डाक्टर दंपति राजेंद्र नगर क्षेत्र में रहते है। 31 मार्च को उनके पास इंटरनेशनल कोरियर कंपनी फेडेक्स से आटो रिकार्डेड काल आया था। महिला की आवाज में कहा कि आपका एक पार्सल पेंडिंग है। किन्हीं कारणों से डिलीवरी नहीं हुई है। आगे की जानकारी के लिए कस्टमर केयर पर बात करें। डॉक्टर ने आप्शन चुने और कंपनी के कथित कस्टमर केयर अधिकारी से बात की। उस महिला ने कहा कि आपका पार्सल थाईलैंड में रिसीव नहीं हुआ है।
उन्हें बताया कि उस पार्सल में पांच पासपोर्ट, 40 किलो वजनी कपड़े, एमडीएमए ड्रग्स जैसी सामग्री है और आधार आईडी से लिंक भी है। डॉक्टर घबरा गए महिला ने मदद का झांसा दिया और कहा कि वह खुद ही साइबर क्राइम के साथ कनेक्ट कॉल कनेक्ट कर दिया। एक फर्जी अधिकारी ने बात की और डॉक्टर से आधार कार्ड नंबर, नाम, पता पूछ लिया। दिखाने के लिए वॉकी-टॉकी से बात की। यह जताने की कोशिश की गई कि हेड क्वार्टर से बातचीत चल रही है।
थोड़ी देर बाद रेड अलर्ट जारी हुआ और डॉक्टर से कहा कि गंभीर मामला है। इस केस को सीबीआई को ट्रांसफर करना होगा। ठग ने ही खुद फर्जी सीबीआई अफसर से फोन कनेक्ट कर दिया। उस व्यक्ति ने एचडीएफसी बैंक के एक खाते की जानकारी दी और कहा कि इस खाते में 16 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है। पिछले महीने खुले इस खाते में भी डॉक्टर के आधार कार्ड, पैन कार्ड का उपयोग होना बताया। डॉक्टर को मुंबई आकर शिकायत करने के लिए कहा।

17 परिवारों की शिकायत के आधार पर डराया

डॉक्टर से कहा कि पूछताछ के लिए मुंबई नहीं आ सकते हैं, तो स्काइप आईडी से कनेक्ट हो जाइए। उन्हें वीडियो कॉल कर निगरानी में रखना शुरू कर दिया। पूरे कथन लिए और कहा कि यह बड़ा घोटाला है।आपके विरुद्ध 17 परिवार की शिकायत है। कुछ बच्चों का अपहरण हुआ है।
बच्चे वापस आ गए लेकिन उनके अंग निकाले गए है। उसमें भी आईडी कार्ड का इस्तेमाल हुआ है। आरोपियों ने आरबीआई अफसर को जोड़ा और कहा कि आपसे बैंक खातों को आइबीआई सर्विलांस में लिया गया है।
जितने भी रुपये है वह सर्विलांस अकाउंट में ट्रांसफर कर दो।डाक्टर ने सारे रुपये ट्रांसफर कर दिए। डॉक्टर से परिवार के सदस्यों की जानकारी ली और उनकी पत्नी को भी स्काइप पर जोड़ लिया। आरोपियों ने कहा कि जब तक मसला सुलझ न जाएं आप को सर्विलांस पर रहना होगा।
साइबर अपराधियों ने पति-पत्नी को रविवार, सोमवार और मंगलवार तक करीब 55 घंटे सर्विलांस पर रखा। सोते, उठते, बैठते, खाते नजरों में रखा। कभी फोन डिसनेक्ट हुआ तो मैसेज आ जाता था। आरोपियों ने कुल 8 लाख रुपये वसूल लिए।

पुलिस, डॉक्टर, आरबीआई और कस्टम में फंसने का डर

डॉक्टर ने नेशनल साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत की। बुधवार को क्राइम ब्रांच पहुंचे और पूरी घटना बताई। एडिशनल डीसीपी (अपराध) राजेश दंडोतिया के मुताबिक ठग ने उन्हें किसी से बात करने का मौका ही नहीं दिया। उन्हें कस्टम, आरबीआई, सीबीआई, पुलिस सहित अन्य जांच एजेंसी के शामिल होने का भय बताया गया। यह भी कहा कि डॉक्टर का संगठन भी विरोध में आ जाएगा।