अब एक बार फिर महापौर पुष्यमित्र भार्गव से मिलेंगे पीड़ित किसान

 

यशवंत सागर के डूब प्रभावित किसानों को नहीं मिला मुआवजा

 

इंदौर। इंदौर नगर निगम में किस तरह से लापरवाही होती है। इसका उदाहरण इसी से दिया जा सकता है कि कई वर्ष पूर्व यशवंत सागर गहरीकरण के साथ-साथ चौड़ीकरण को लेकर आसपास क्षेत्र के किसानों की जमीन इसमें शामिल की गई।
अभी तक जमीन लेने के एवज में निगम की ओर से किसानों को मुआवजा नहीं दिया गया है जबकि इसके लिए कई बार किसान नगर निगम के लगातार चक्कर भी लगाते रहे हैं। निगम से ही मिली जानकारी के अनुसार निगम परिषद सम्मेलन में भी इस मामले को को लेकर प्रस्ताव पारित हुआ और जब मामला उठा तो इससे स्वीकृत भी किया गया है।
दरअसल यशवंत सागर की गहराई बढ़ाने के साथ-साथ कृषि भूमि के डूब प्रभावितों को मुआवजा देने का प्रस्ताव तो स्वीकृत हो गया लेकिन अभी तक मुआवजा राशि को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। इसके साथ ही ना ही किसानों को मुआवजे की राशि मिल पाई है जबकि कई वर्ष बीत जाने के बावजूद अब तक किसानों को मुआवजा मिल जाना था।
यशवंत तालाब की गहराई से लेकर चौड़ीकरण के मामले में आसपास के किसानों की जमीन तत्कालीन महापौर डॉ उमा शशि शर्मा के कार्यकाल में ली गई थी। वही उसके बाद तत्कालीन महापौर कृष्णमुरारी मोघे के कार्यकाल में अधूरा काम
भी तालाब का पूरा किया गया था। इसके साथ ही मुआवजा राशि किसानों को दी थी जिसके लिए राशि तय हुई और इसके लिए सरकार से भी अनुमोदन मिलने के साथ ही स्वीकृति भी मिली थी। इन सबके बावजूद अभी तक किसानों को मुआवजे की राशि नहीं मिली है।
आज बड़े पैमाने पर मुआवजे की राशि प्राप्त करने के लिए नगर निगम के चक्कर लगाने पर मजबूर हैं। आज भी बड़े पैमाने पर किसान अपनी जमीन के भरोसे ही रहते हैं जहां फसल के माध्यम से अपने परिवार का पालन पोषण करते है।
नगर निगम ने यशवंत सागर को गहरा करने के साथ-साथ उसके चौड़ीकरण को के कारण तालाब के आसपास की जमीनों को अधिग्रहित किया था इसके एवज में यह भी प्रस्ताव पारित होने के साथ भी तय हुआ कि किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। इसके बावजूद नगर निगम द्वारा समय पर मुआवजा

इनका कहना है

ऐसा नहीं है किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है और हम प्रतिवर्ष फसल का मुआवजा बराबर किसानों को दे रहे हैं। वहीं जहां एकदम डूब में जमीन ली गई तो उसका भी मुआवजा हम लोग दे रहे हैं। तालाब के गहरी करण में जमीन की भी आवश्यकता थी जहां जरूरी था इसलिए हमें जमीन भी ली है और उसका मुआवजा बराबर किसानों को दिया जा रहा है। एक साथ मुआवजा निगम नहीं दे सकता है इसलिए हम प्रतिवर्ष मुआवजा दे रहे हैं।

मनोज वर्मा, अपर आयुक्त, नगर निगम