दैनिक अवंतिका उज्जैन। खुसूर-फुसूर  प्रतिबंधित संगठन की सेंध देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त प्रतिबंधित संगठन की आंतरिक सक्रियता की बात सूनी जा रही है। उसके सीजर सदस्य अन्य के कंधों का उपयोग करते हुए अपने मंसूबों को अंजाम देने की और आगे बढने लगे हैं। इसके लिए पूरी रणनीति के तहत काम किए गया है। इसमें कई अशासकीय संगठनों को सीधे तौर पर मोहरा बनाया गया है। मोहरा बनाए गए संगठनों को हाल ही के वर्षों में अस्तित्व में लाया गया है। खास तो यह है कि इनके सदस्यों में अधिकांश बहुसंख्यक समाज के लोगों को इस्तेमाल कर लिया गया है और उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं है। समाजसेवा के नाम पर बनाए गए संगठनों में सेवा के नाम पर अवैध रूप से आन वाले धन और उसके उपयोग की व्यवस्था को इनसे अंजाम देने के षडयंत्र को अमली जामा पहनाने के लिए ऐसा किए जाने की स्थिति बनाई गई है जिससे की किसी को एक दम से शंका सुबा न हो । पूरे योजनाबद्ध तरीके से इसके लिए काम किया गया है और आगे भी जारी है। इसी के तहत कुछ गरीबों की मदद भी की जा रही है और उन्हें साथ में मिलाकर संगठन की गतिविधियों को भी चलाया जा रहा है। मदद का मारा सीधे –सीधे बने बनाए जाल में उलझता जा रहा है। दस्तावेजों में भी दर्ज हो रहा है। खुसूर-फुसूर है कि अगर ऐसे ही धीमी गति से दीमक की तरह इस संगठन के सीजर अपना काम करते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब ये पूरी तरह से दुसरे के कंधे पर बंदूक रखकर अपना निशाना साधेंगे और बाद में एनआईए मदद के मारों को साथ लेकर जाएगा, मूल अपराधी हाथ नहीं आएगा मदद के मारों का दुरूपयोग करते हुए विदेशी पैसों का देश विरोधी गतिविधियों में उपयोग हो जाएगा।