सुगंध दशमी पर पुण्योदय तीर्थक्षेत्र बजरंगगढ़ में निकली हाथी फेरी

इंदौर ।  पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व के सुगंध दशमी के अवसर पर बजरंगगढ़ स्थित पुण्योदय शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर पर हाथी फेरी का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में गुना के अलावा आरोन, राघौगढ़, रूठियाई, एनएफएल सहित अन्य जगह से श्रद्धालु शामिल हुए। इसके पूर्व नित्य श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा एवं संगीतमय पूजन हुई। तत्पश्चात मंदिर में भगवान शांतिनाथ, अरनाथ, कुंथनाथ भगवान की गुफा की सात फेरी ऐरावत हाथी के माध्यम से लगाई। वहीं शाम को सभी जैन श्रद्धालुओं ने सुगंध दशम के मौके पर नगर के समस्त जैन मंदिरों की वंदना करके दर्शन किए। वहीं भगवान के झूले को श्रद्धालुओं ने झुलाया।
बजरंगगढ़ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष इंजी. एसके जैन एवं मंत्री प्रदीप जैन ने बताया कि वर्षों प्राचीन से परंपरा में सुगंध दशमी पर मंदिरजी पर फेरी निकाली जाती। इस मौके पर हाथी फेरी पुण्यार्जक परिवारों में विवेक कुमार विशाल कुमार जैन, मनोज कुमार ईशान जैन जावती, स्व. जयकुमार जैन परिवार, देवेंद्र कुमार अभिषेक कुमार जैन, जिनेंद्र कुमार संजय कुमार जैन, सुनील कुमार हर्षित जैन बंधु परिवार, आशीष जैन द्वारा अपने सपरिवार के साथ हाथी फेरी निकाली गई। इसके पूर्व हाथी पर जिनवाणी विराजमान करने का सौभाग्य मयंक, अमित, अंकित, आकाश, गौरव जैन को प्राप्त हुआ। वहीं श्रीजी की आरती संजय जैन मुंशी परिवार ने की।प्राचीन परंपरा है दशमी पर धूप खेवन
अंचल में जैन समाज के पर्यूषण पर्व के दौरान सुगंध दशमी पर धूप खेवन की प्राचीन परंपरा है। इस बारे में समाज के पूर्व उपाध्यक्ष अनिल बडकुल बताते हैं कि 80-90 के दशक में दसलक्षण पर्व के दौरान गुना, अशोकनगर एवं आसपास के बुंदेलखण्ड क्षेत्रों में धूप दशमी के दिन जैन लोग अपने व्यापार-प्रतिष्ठान बंदकर, दोपहर में पूरी समाज एक साथ, सपरिवार हाथों में धूप की पुड़िया लेकर, बड़ी-बड़ी टोलियों में अथवा शोभायात्रा के रूप में नगर के सभी मंदिरों के दर्शन करने जाया करती थी। उन दिनों मंदिर के बाहर से ही धूप की सुगंधित महक जैसे सम्पूर्ण वातावरण को आनंददायक बना देती थी। वेदियों के सामने अग्नि प्रज्ज्वलित मिट्टी के या अन्य धूपाडों में लोग धूप खेते (चढ़ाते) थे। धुआँ और खुशबू से मन्दिर भर जाते थे, लोग बाहर निकलते दूसरे मन्दिर जाने के लिए बाहर अपने परिचितों से जय जिनेन्द्र करते और पूछते आप कितने मन्दिर दर्शन कर आये।