सुलियरी कोल ब्लॉक चालू रखने की मांग के साथ सैकड़ों की संख्या में सड़कों पर उतरे स्थानीय निवासी

सिंगरौली ।  सितम्बर 21 ,2023: सरई तहसील अन्तर्गत राज्य सरकार आंध्र प्रदेश मिनरल्स कॉर्पोरेशन (एपीएमडीसी) की सुलियरी कोयला खदान को चालू रखने के लिए सैकड़ों की संख्या में स्थानीय निवासी रोड पर उतर आये। वहीं उनका प्रतिनिधि मंडल ने वैढ़न आकर सुलियरी खदान को बिना रूकावट चलवाने के लिए सिंगरौली जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

तख्ती और बैनर लेकर आंध्र प्रदेश राज्य सरकार की खदान के समर्थन में जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

यह उल्लेख करना उचित है कि सुलियारी कोयला ब्लॉक के आसपास रहने वाले स्थानीय लोग कुछ गैर-जिम्मेदार तत्वों से परेशान हैं जो एपीएमडीसी प्रबंधन और जिला प्रशासन से उनकी शेष मांगों को पूरा करने के आश्वासन के बावजूद खदान संचालन का विरोध कर रहे हैं। सुलियारी खदान ने एपीएमडीसी द्वारा समुदाय केंद्रित अनेक पहलों के अलावा स्थानीय लोगों के लिए लगभग 5,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। अब उन्हें खदान संचालन बंद करने के अनुचित विरोध के कारण उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का डर है।

गुरुवार के दिन अपने हाथों में सुलियरी कोल ब्लॉक के समर्थन में बैनर और तख्तियां लेकर स्थानीय लोग मांग करते दिखे कि किसी भी हालत में सुलियरी कोल ब्लॉक को चालू रखना है। कुछ गैरजिम्मेदार तत्व और कथित अभियानकारीओ के बहकावे में पिछले कुछ दिनों से मुट्ठी भर लोगों ने खदान के खिलाफ कानूनी तरीके से चलाई खदान विरोध में अवैद्य तरीके से धरना प्रदर्शन कर रहा है। इस वजह से सुलियरी प्रोजेक्ट को सही तरीके से संचालित करने में परेशानी हो रही है और उसका सीधा असर हजारों लोगों की रोजी-रोटी पर हो रहा है।

“एपीएमडीसी के द्वारा हमारे बच्चों के लिए उचित पढ़ाई की व्यवस्था, स्वास्थ्य सुविधा और कई सुविधाओं का विकास किया गया है। हम किसी भी हालत में अपनी खुशहाली नहीं गंवाना चाहते हैं और इसलिए चाहते हैं कि सुलियरी खदान हर हालत में चालू रहे और हमारे बच्चे रोड पर नहीं आये। पिछले कुछ दिनों से कुछ बाहरी असामाजिक और स्वार्थी लोगों के द्वारा कुछ स्थानीय लोगों को उकसाकर सुलियरी खदान के बाहर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है और कोयले की परिवहन को रोक कर रखा है इस से हमारी रोजी-रोटी को खतरा पैदा हो गया है।,” ग्रामवासियों ने कलेक्टर ऑफिस को सौंपे अपने ज्ञापन में बताया।

स्थानीय लोगों को अपने धैर्य खोकर वैढ़न में जिला कलेक्टर के सामने अपनी बात इसलिए रखनी पड़ी क्यूंकि जब वह मेधा पाटकर के सामने अपनी चिंताएं शांतिपूर्ण तरीके से व्यक्त करने सुलियारी खदान का विरोध करने वालों ने उन्हें पुलिस की आड में रोक दिया। स्थानियों का आरोप है की निहित स्वार्थ वाले लोगों ने पाटकर को सुलियारी खदान में किये जा रहे कार्यों की सच्चाई और आंध्र प्रदेश सरकार के उद्यम द्वारा किए गए समुदाय केंद्रित कार्यों से अवगत किये बगैर ही झलरी आमंत्रित कर दिया था। विरोधी तत्वों ने ग्रामीणों को उनकी सभा में शामिल होने से रोकने के साथ-साथ उन्हें अपने ही गांव में प्रवेश करने से भी रोक दिया। ग्रामीणों की मांग है की हाल ही में एपीएमडीसी और जिला प्रशासन के साथ बनी सहमति के अनुसार सुलियरी खदान के बाहर चल रहे अकारण धरना रोक दिया जाए और कोयला परिवहन को सामान्य करके खदान को पूर्णतः कार्यरत बने रहने दिया जाए।

कुछ तत्व ऐसे समय में खदान का विरोध कर रहे हैं जब आंध्र प्रदेश सरकार उन ग्रामीणों को मुआवजे के रूप में लगभग 750 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है। लोगो ने स्वेच्छा से खनन के लिए मुआवजे के बदले में अपनी जमीन दे दी है। सुलियारी खदान के समक्ष चुनौतियों का न केवल आश्रित ग्रामीणों पर बल्कि मध्य प्रदेश की राज्य सरकार पर भी असर पड़ेगा, जो विभिन्न शुल्कों के माध्यम से सालाना 1600 करोड़ रुपये कमाती है।

ग्रामीणों मानते हैं कि खदान एवं बिजली संयंत्रों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से ना सिर्फ गांव के युवाओं को रोजगार मिला बल्कि स्थानीय महिलाओं को भी स्वरोजगार के कई अवसर प्रदान किए गए हैं, जिससे कि महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन रही हैं। स्थानीय लोगों की आर्थिक एवं सामाजिक स्तर में सुधार के अलावा उन्हें अस्पताल, विद्यालय, पेयजल, एंबुलेंस जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जा रही है। सुलियरी खदान अकेले करीब 1200 बच्चों के लिए अद्यतन स्कूल और सैकड़ों परिवारों के लिए आधुनकि सुविधाओं से युक्त शानदार कॉलोनी निर्माणाधीन है।