शिप्रा की गहराई में कई टन कपड़ा और बहकर आने वाली सामग्री

हादसे की मुख्य वजह नदी की गहराई में जाने के बाद इन सामग्री में उलझने की वजह से नहीं आ पाता है बाहर

उज्जैन। शिप्रा नदी में डूबने से अभी तक कई लोग काल के ग्रास में समां चुके हैं। नदी की गहराई का अंदाजा नहीं होने की वजह से लोग नहाते समय गहरे पानी में चले जाते हैं और फिर वापस बाहर नहीं आ पाते हैं। इसकी मुख्य वजह यह भी बताई जा रही है कि शिप्रा नदी की गहराई में कई टन कचरा समांया हुआ है नदी में बाढ़ के समय पानी में बहकर आने वाली सामग्री सहित कई टन कपड़ा नदी के अंदर ताले में पड़ा हुआ है। लोगों की मौत की वजह यही है कि नदी की गहराई में जाने वाले लोग इन कपड़े व सामग्री में उलझ जाते हैं और वापस बाहर नहीं निकाल पाते हैं। तैराको ने बताया कि नदी के अंदर कपड़े व पानी में बहकर आने वाली इत्यादि सामग्री पड़ी है। जब भी कोई गोताखोर किसी को बचाने के लिए नदी में गोता लगता है तो वह भी नदी की गहराई में पड़ी सामग्री कपड़े अन्य वस्तु में उलझ जाता है कई बार तेराक भी अंदर पड़ी सामग्री से टकराने के बाद घायल हो जाता है नदी में बड़े पत्थर व कपड़े ज्यादा मात्रा में है। इस कारण तेरा भी नदी की गहराई में जाने से ऐतराज करने लगे हैं।

सभी घाटों की तैराकी में माहिर एसडीआरएफ के जवान है तैनात

शिप्रा नदी के सभी घाटों पर हालांकि प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ा दी है यहां एसडीआरएफ के जवान तैनात किए गए हैं जो सभी घाटों की सुरक्षा व्यवस्था संभाले हुए हैं तथा घाट पर देना रहकर गहराई में जाने वाले लोगों को रोकते हैं तीन शिफ्ट में तीन दर्जन से अधिक एसडीआरएफ के जवान ड्यूटी देते हैं एक शिफ्ट में 10 जवान नदी के घाटों पर तैनात होकर नदी में गहरे पानी में जाने वालों को रोकते हैं और डूबने वाले को बचाते हैं

घाटों पर तैनात तेराको के पास है लाइफ जैकेट

इन जवानों को लाइफ जैकेट दी गई है इस जैकेट की खासियत यह है कि इसको पहनने के बाद नदी में रहने वाला व्यक्ति 17 घंटे तक डूबता नहीं है। जहां घाटों पर ड्यूटी देने वाले तेरा जवानों को अधिकतर इन जैकेट के सहारे ही नदी में उतर जाता है साथ ही नदी में डूबने वाले व्यक्ति को भी यह जैकेट मुहैया कराई जाती है।