रातभर कुएं में लटका रहा सेवानिवृत्त लाइनमेन

उज्जैन। जाको राखे साइयां मार सके ना कोई वाली कहावत बुधवार को उस समय चरितार्थ हुई जब कुएं में लटके एक वृद्ध को बाहर निकाला गया। वह रात 10 बजे गिरे थे। सुबह कुछ लोगों ने आवाज सुनकर कुएं में देखा और फायर बिग्रेड की मदद से उन्हे निकालने के लिये रेस्क्यू किया गया।
ढांचा भवन में रहने वाले विमलेश चतुवेर्दी 68 वर्ष सेवानिवृत्त लाइनमेन है। वह प्रतिदिन हीरामिल की चाल स्थित हिर्देश्वर महादेव मंदिर दर्शन करने जाते है। मंगलवार रात 10 बजे वह दर्शन करने गये थे। जहां उनकी जेब में रखे कुछ रुपए गिर गये। वापस लौटते समय उन्हे जेब में रुपए नहीं होने का पता चला तो वापस मंदिर तलाश करने पहुंचे। जहां उनके रुपए मिल गये, लेकिन सामने बड़ा अजगर दिखाई दिया। जो उनकी ओर बढ़ रहा था, जान बचाकर भागने का प्रयास करते वक्त वह मंदिर से कुछ दूरी पर बने बिना मुंडेर के कुएं में जा गिरे। उन्हे तैराना आता था जिसके चलते वह डूबने से बच गये। लेकिन बाहर निकलने का कोई साधन नहीं होने पर उन्होने आवाज लगाई। रात का समय होने पर आसपास कोई नहीं था। वह खुद की जान बचाने के लिये कुएं की ईंट से बनी दीवार से लटक गये। इस दौरान तेज बारिश होने लगी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी कुछ देर तैरने और फिर दीवार में बनी खोह को पकड़कर लटकते हुए उन्होंने पूरी रात गुजार दी। सुबह होने पर फिर आवाज लगाना शुरू किया। सुबह कुछ लोग हिर्देश्वर महादेव मंदिर दर्शन करने पहुंचे, उन्होंने कुएं के अंदर से आवाज आती सुनी तो झांक कर देखा। विमलेश चतुवेर्दी लटके हुये थे।
उन्होंने पहले उन्हें बाहर निकाले के प्रयास किया, जब सफल नहीं हुये तो फायर बिग्रेड को सूचना दी। दमकलकर्मी रवि सोदे, विक्रमसिंह, भारतसिंह, पप्पू चौहान और दमकल चालक कुलदीप सिसौदिया मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने वृद्ध को बाहर निकालने के लिये रेस्क्यू किया और कुछ देर बाद सुरक्षित बाहर निकाल लिया। रातभर पानी में रहने के चलते उन्हें ठंड लग चुकी थी। मंदिर के पुरानी ने उन्हें गर्म दूध का सेवन कराया और परिजनों को सूचना दी। परिजन मौके पर पहुंचे और उन्हे अपने साथ लेकर रवाना हुये। बताया जा रहा था कि सेवानिवृत्त होने के बाद विमलेश चतुवेर्दी देव-दर्शन में काफी व्यस्त रहते हैं। कई बार रात में वह घर नहीं लौटते थे, जिसके चलते बीती रात परिजनों ने भी उनकी तलाश नहीं की। उन्हें लगा कि सुबह लौट आयेंगे। लेकिन जब हादसे का पता चला तो उन्होंने हिर्देश्वर महादेव की कृपा होना बताया।