महाकाल की दूसरी सवारी में चांदी की पालकी  में चंद्रमौलेश्वर तो हाथी पर निकले मनमहेश

– झांझ-मंजिरे, डमरू, शंख वादन करते, भजन गाते निकली मंडलियां
दैनिक अवंतिका उज्जैन। 
श्रावण मास की दूसरी सवारी में सोमवार को भगवान महाकाल ने लाखों श्रद्धालुओं को दो रूप में दर्शन देकर अभिभूत किया। 
सवारी में सबसे आगे ध्वज निकला इसके पीछे घोड़े पर सवार पुलिस के जवान, मार्च पास्ट करता सशस्त्र बल व धार्मिक धुन बजाता हुआ पुलिस का बैंड शामिल था। इसके पीछे राजाधिराज महाकाल की चांदी की पालकी थी। पालकी में भगवान महाकाल के स्वरूप चांदी के चंद्रमौलेश्वर का मुखौटा विराजित था तो पीछे हाथी पर चांदी के सिंहसन के ऊपर चांदी के मनमहेश रूप में महाकाल दर्शन देते हुए निकले। सवारी के आगे भजन मंडलियां जय महाकाल के जयकारे लगाते, झांझ-मंजिरे, डमरू व शंख वादन करते हुए भक्ति में झूमते, गाते हुए निकली। सवारी के बीच कभी बारिश तो कभी सूखे का नजारा था। सवारी महाकाल चौराहा से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार व कहारवाड़ी होते हुए शिप्रा तट रामघाट पर पहुंची। 
रामघाट पर मां शिप्रा के जल 
से मंत्रों के बीच हुआ अभिषेक 
सवारी में रामघाट के पास राणौजी की छत्री के सामने घाट पर सवारी को विश्राम दिया गया। यहां पंडे-पुजारियों के साथ पुजारी आशीष गुरु ने मंत्रोच्चार कर भगवान महाकाल का मां शिप्रा के जल से अभिषेक-पूजन किया। यहां से सवारी रामानुजकोट, कार्तिकचौक, ढाबारोड, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए वापस महाकाल मंदिर पहुंचकर समाप्त हुई।  

57 साल बाद श्रावण सोमवार, सोमवती व 

हरियाली अमावस्या का एक साथ संयोग

श्रावण मास के दूसरे सोमवार को सोमवती अमावस्या व हरियाली अमावस्या का पर्व भी रहा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने कहा 57 साल के बाद ऐसा खास संयोग बना, जब श्रावण सोमवार के दिन सोमवती व हरियाली अमावस्या पड़ी है। इससे पहले यह योग सन् 1966 में बना था। 

रात 2.30 बजे खोले पट, भस्मारती की

दोपहर तक 1 लाख, प्रोटोकॉल बंद रहा

श्रावण सोमवार व सोमवती अमावस्या पर्व के संयोग में महाकाल मंदिर के पट रात 2:30 बजे खोले गए। पुजारियों ने भस्मारती की। इसके बाद आम दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ। मंदिर समिति के अधिकारियों की माने तो दोपहर में ही 1 लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके थे। शाम  से रात में यह आंकड़ा करीब 4 लाख तक श्रद्धालुओं के पहुंच जाएगा। अधिक भी़ के चलते मंदिर में प्रोटोकॉल दर्शन व्यवस्था को पूरी तरह से बंद रखी गई। नंदी हॉल से दर्शन भी बंद रहे।

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