माफियाओं को मात देने के लिए केंद्रीय निर्वाचन आयोग को प्रदेशभर में एक रूप शर्तों के साथ एक ही टेंडर जारी करना होगा

निर्वाचन का धन लूटने के लिए सीसीटीवी वीडियोग्राफी माफिया सक्रिय
निर्वाचन 6 माह दूर, सीसीटीवी-वीडियोग्राफी माफिया सक्रिय, देवास में हुई बड़ी बैठक पार्टी
दैनिक अवन्तिका देवास/ इंदौर
विधानसभा निर्वाचन में अभी 6 माह के करीब का समय है। इससे पहले निर्वाचन के बजट को चूना लगाने के लिए माफिया सक्रिय हो गया है। सीसी टीवी एवं विडियोग्राफी के टेंडर लेने वाले इस माफिया ने हाल ही में देवास में पार्टी आयोजित की थी। इसमें प्रदेशभर के इनके लूटेरे साथी शामिल हुए हैं। खास तो यह रहा कि माफिया ने इस पार्टी में प्रशासनिक पकड़ के आधार पर जिले भी बांट लिए, जबकि अभी प्रदेश के मात्र दो-तीन जिलों में ही टेंडर हुए हैं। पार्टी में टेंडर की शर्तें तक परिवर्तन के दावे किए गए हैं।
सीसी टीवी एवं वीडियोग्राफी के माफिया के गढ़ में बुधवार को देवास में यहीं के निवासी एक ब्लेक लिस्टेड ठेकेदार ने इस पार्टी का आयोजन इंदौर रोड़ स्थित एक होटल में किया था। इस पार्टी में प्रदेश के 35 से अधिक माफिया सदस्य बनाम ठेकेदारों ने भागीदारी की है। सर्वाधिक देवास के ही इसमें शामिल थे। सूत्रों के अनुसार शराब एवं कबाब की इस पार्टी के पूर्व बैठक आयोजित की गई, जिसमें माफिया के सदस्यों ने अपने जिलों का खुलासा किया जिस पर सहमति एवं असहमति के साथ बंटवारे जैसी स्थिति बनी। अधिकांश जिलों को लेकर कोई असहमति न होते हुए सीधे-सीधे बटवारें किए गए। जिला वार टेंडर में अपने अनुसार शर्तें डलवाने को लेकर तैयारी करने की स्थिति एवं प्रशासनिक सेटिंग की जानकारी भी इमसें दी गई जिससे की कोई दूसरा उस जिले में टेंडर न डाल सके। बैठक में आए अधिकांश ठेकेदारों के बीच जिलों को लेकर सहमति बन गई। उसी अनुसार टेंडर डालने की बात की गई है। बात तो यहां तक सामने आ रही है कि जिलों में अधिकतम रेट पर टेंडर डालकर काम लिया जाए, मौका आने पर रिंग बनाकर उंचे दाम पर रेट के लिए टेंडर डाले जाएं। अन्य प्रदेशों के ठेकेदारों को नहीं आने देने के लिए जिला स्तर पर प्रशासन के टेंडर निकालने वाले अधिकारियों से बात कर कुछ ऐसी शर्तें जुडवा दी जाए जिससें की अन्य ठेकेदार के टेंडर तो डले लेकिन वे बाहर हो जाएं जिससे कि जिसे सेटिंग से काम करना है वहीं उस काम को करे। प्रदेश में अरबों रूपए निर्वाचन में वीडियोग्राफी एवं सीसी टीवी के नाम पर आयोग खर्च करेगा जिसकी बंदरबांट अधिकारियों की मिली भगत के साथ करने का दावा माफिया करने के दावे के साथ पार्टी करते हुए बता रहा है कि अधिकारियों की स्थिति क्या है।
आयोग से ही जारी हों शर्तें
विधानसभा चुनाव के लिए जिलों में सीसी टीवी और विडियोग्राफी को लेकर निविदा निकालने के काम की तैयारी हो चुकी है। प्रदेश के कुछ जिलों में टेंडर भी निकाल दिए गए हैं उनमें बुरहानपुर जिला भी शामिल है। प्रदेश के जिलों में हर जगह टेंडर की शर्तें अलग अलग रखी जा रही हैं। इसके पीछे मात्र एक ही कारण है कि वहां सधे हुए ठेकेदार की पेठ गहरी है। निर्वाचन आयोग इस तरह के माफिया की कमर तोडने के लिए केंद्रीय निर्वाचन आयोग से जारी एकरूप शर्तों के तहत निविदा का प्रकाशन संयुक्त रूप से प्रदेश स्तर से करे। निविदाओं को केंद्रीय निर्वाचन कार्यालय के प्रदेश स्तरीय कार्यालयों में ही खोला जाए जिससे की जिला स्तर पर इस माफिया की कमर तोड़ी जा सके।
दाम उंचे, काम घटिया
बताया जा रहा है कि विडियोग्राफी और सीसी टीवी के ठेके में सबसे ज्यादा लोचा किया जाता है। एक सीसी टीवी कैमरा मात्र 1500 रुपए में मिल जाता है। उसका अधिकतम सभी प्रकार का खर्च जोड़ने पर वह पांच सौ रुपए और जोड़ने पर महिनों तक अपना काम करता है। जबकि टेंडर में ठेकेदार प्रतिदिन प्रति कैमरा 180 रुपए किराया लेता है। उसके बाद सीढी एवं डिवीडी में डाटा करने के काम के अलग पैसे। यही नहीं विडियोग्राफी ठेके 3 सीसीडी कैमरा के लिए होती है और उसे ठेकेदार उसी मान से भरता है जबकि विडियोग्राफी मोबाईल कैमरों के माध्यम से की जाती है। अधिकारियों से सेटिंग होने पर टीम के ही कुछ अधिकारी वीडियोग्राफी मोबाईल से करके दे देते हैं और ठेकेदार कैमरामेन भी नहीं रखते हैं। उसके एवज में ठेकेदार संबंधित अधिकारी कर्मचारी को लक्ष्मी की सेवा पूजा कर देते हैं। वेबकास्टिंग के नाम पर लाखों रूपए का चुना लगाया जाता है। मात्र कुछ अधिकारियों के साथ ही 3 सीसीडी कैमरामेन रखे जाते हैं।