April 25, 2024

कोर्ट ने कहा- मोटरयान अधिनियम में क्षतिपूर्ति राशि आश्रितों को नहीं, बल्कि वारिसों को दिलावाई जाती है

इंदौर। दुर्घटना में मृत युवक के माता-पिता को इंदौर जिला न्यायालय ने एक करोड़ 13 लाख 41 हजार रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में देने के आदेश दिए। यह रकम उस ट्रक का बीमा करने वाली बीमा कंपनी को वहन करना होगी, जिसकी टक्कर से युवक की मौत हुई थी। बीमा कंपनी ने यह कहते हुए अपने दायित्वों से इंकार कर दिया था कि मृतक के माता-पिता अपना भरण पोषण करने में सक्षम हैं। इस पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मोटरयान अधिनियम में क्षतिपूर्ति की राशि आश्रितों को नहीं, बल्कि वारिसों को दिलवाई जाती है। बीमा कंपनी को क्षतिपूर्ति की रकम 30 दिन में देनी होगी।
इंदौर के सांवेर रोड़ निवासी 23 वर्षीय आयुष गुप्ता चेन्नई की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में ग्लोबल रिसर्च के पद पर पदस्थ था। कंपनी उसे 12 लाख रुपये प्रतिवर्ष भुगतान करती थी। 25 जुलाई 2018 को सुबह करीब 11.30 बजे आयुष अपनी मोटर साइकिल से जा रहा था कि चेन्नई के गांधी मंडपन रोड़ पर ट्रक का पहिया आयुष की कमर से गुजर गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

बीमा कंपनी ने किया था प्रकरण का विरोध

आयुष के पिता राजीव कुमार गुप्ता और माता वंदना ने एडवोकेट एनके जाट के माध्यम से जिला न्यायालय में ट्रक का बीमा करने वाली यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, ट्रक के मालिक आर कलावथी निवासी चेन्नई और ड्राइवर सतीश कुमार पुंगावनम निवासी चेन्नई के खिलाफ क्षतिपूर्ति के लिए प्रकरण प्रस्तुत किया। बीमा कंपनी ने यह कहते हुए प्रकरण का विरोध किया कि आयुष ने हेलमेट नहीं पहना था और उसके पास वैध लाइसेंस भी नहीं था। आयुष के माता-पिता भरण पोषण में सक्षम हैं, इसलिए उन्हें क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने बीमा कंपनी के तर्कों को किया खारिज कर दिया।