उज्जैन। शहर में फूटपाथ का वैसे ही अभाव है पिछले कुछ वर्षों के दौरान बनाए गए मार्गों पर तो फूटपाथ सिरे से ही गायब हो गए हैं। जिन मार्गों पर फूटपाथ हैं वहां ठेले गुमटी सहित व्यापारियों का अस्थायी अतिक्रमण है जिसे हटाने को लेकर कोई गंभीर और नियमित कार्रवाई अंजाम नहीं दी जाती है। इसके चलते पैदल चलने वाले की परेशानी बरकरार है उन्हें बराबर सडक पर ही चलना मजबूरी है।
हाल ही में देश के सर्वोच्च न्यायालय ने पैदल चलने वालों को लेकर सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे पैदल चलने वालों के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक फुटपाथ सुनिश्चित करने के लिए गाइडलाइन बनाएं। कोर्ट ने कहा कि फुटपाथ पर चलना नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है और इसकी व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी है। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा कि फुटपाथ नहीं होने की वजह से लोग सड़कों पर चलने को मजबूर होते हैं। कोर्ट ने कहा, ‘फुटपाथ ऐसे होने चाहिए जो दिव्यांगों के लिए भी सुलभ हों और उन पर किसी भी तरह का अतिक्रमण न हो।
शहर के हैं ऐसे हालात-
शहर में जहां सडकों का चौडीकरण किया गया है वहां भी फूटपाथ सिरे से ही गायब हैं। देवास गेट –मालीपुरा से महाकाल घाटी तक का मार्ग 2004 में चौडीकरण किया गया था। इसके बाद चामुंडा माता से लाल मस्जिद मार्ग चौडीकरण किया गया। इन मार्गों पर पूरी तरह से सडक ही सडक है जहां वाहनों की स्थिति बनी रहती है। फूटपाथ की जगह पर पूरी तरह से अतिक्रमण के हाल हैं। न चाह कर भी पैदल चलने वालों को सडक पर ही चलना मजबूरी है। यही हाल शहर के शहीद पार्क से टावर तक के हैं। अधिकांश सडकों पर फूटपाथ देखने को ही नहीं मिलता है। इसके साथ ही अन्य मार्गों पर भी फूटपाथ के हाल बूरे हैं।
ऐसा है अतिक्रमण-
शहर में कुछेक मार्ग ही ऐसे बनाए गए हैं जहां फूटपाथ पृथक से बने हैं। इनमें देवासरोड पर चर्च से लेकर सर्किट हाउस के आगे तक का हिस्सा है। जहां दोनों और फूटपाथ पैदल चलने वालों के लिए सिंहस्थ 2016 में बनाए गए। इसके अलावा एमआर-2 फोरलेन पर फूटपाथ की जगह पर गार्डनिंग कर दी गई। आगर रोड पर सडक के चौडीकरण का हिस्सा पार्किेग में उपयोग हो रहा है तो शहर के ह्दय स्थल घंटाघर चौक के भी यही हाल हैं। अधिकांश सडकों पर फूटपाथ की जगह पर ठेले और गुमटियों का अस्थाई कहा जाने वाला अतिक्रमण स्थाई रूप ले चुका है। सडकों के दोनों और ही फूटपाथ पर अतिक्रमण सिरे से पसरा हुआ है। देवासगेट से महाकाल घाटी तक के मार्ग पर फूटपाथ गायब है और दुकानदारों का अतिक्रमण तोडा पट्टी से शुरू होकर सडक की पूरी पिचिंग तक बना रहता है।
अधिकांश आंतरिक मार्ग से फूटपाथ गायब-
फूटपाथ को लेकर हालत यह है कि शहर के आंतरिक मार्ग पर अधिकांश भाग से यह गायब हो चुके हैं। फ्रीगंज जैसे व्यस्ततम बाजार के हाल हों या फिर पुराने शहर के नई सडक ,पटनी बाजार, कंठाल से गोपाल मंदिर या चौडीकरण किए जा रहे कोयला फाटक से कंठाल –गोपाल मंदिर तक या फिर तीन बत्ती चौराहा से इंदौर रोड दो तालाब तक। सभी तरफ फूटपाथ गायब कर दिए गए हैं। आंतरिक क्षेत्रों में कालोनियों में भी यही हाल हैं।
फूटपाथ मुक्ति को लेकर कोई कार्रवाई नहीं-
कुछ सडकों के दोनों और नाली से सडक के बीच में छोडी गई जमीन पर नगर निगम ने शहर के आंतरिक मार्ग पर ब्लाक मेकिंग करवाया है । मूल रूप से यही फूटपाथ है लेकिन शहर के आंतरिक मार्ग के साथ ही कालोनियों में भी इस स्थान पर अतिक्रमण के हाल हैं। इसे मुक्त करवाने को लेकर कोई स्थाई कार्रवाई देखने को नहीं मिलती है। छठे चौमासे ही ध्यान आने पर नगर निगम की गैंग खानापूर्ति के लिए निकलती है और मात्र व्यापारियों को सामान हटाने और ठेले गुमटी वालों को हिदायत देकर चली जाती है। इसे लेकर निरंतर कोई कार्रवाई नहीं होती है।