सुकून की तलाश में जल संसार की ओर

ब्रह्मास्त्र उज्जैन

ग्लोबलाइजेशन के बाद मल्टीनेशनल कंपनियों की बाढ़ सी आ गई और देश के युवाओं के लिए रोजगार के द्वार भी खुल गए पर इन रोजगार में वर्किंग अवर्स बहुत ज्यादा होने से लोगों में चिढ़चढ़ाहट बढ़ गई व थकाऊ दिनचर्या हो गई। इससे राहत पाने के लिए युवाओं ने रास्ता निकाला। अपने घर में ही जल संसार विकसित कर प्रकृति का आनंद लेना। एक कमरे के घर में रह रहे युवाओं ने अपने रूम में ही रंगीन मछलियों का एक्वेरियम रखना शुरू कर दिया और इन एक्वेरियम में लाइट व फव्वारे लगाकर इसके सौन्दर्य में भी अभिवृद्धि की। आज मछली पालना एक शौक बन चुका है।

ल्ल कांच के पॉट व बाउल में रोचक संसार- शहर मे रंगीन मछलियां पालन आज पसंदीदा शौक बन गया है। घर के एक कोने में लोग मछलियों के दो से ढाई फुट लंबे एक्वेरियम रख रहे हैं और इनमे विभिन्न प्रजातियों की सुन्दर मछलियां पाल रहे हैं। सुन्दरता बढ़ाने के लिए एक्वेरियम के अंदर बालूरेत बिछाकर कुछ जलीय पौधे भी लगाए जाते हैं।

ल्ल एयरेटर के साथ सुन्दर फव्वारे- मछलियां पानी मे घुली आॅक्सीजन को गिल्स के द्वारा लेकर श्वसन करती हैं। अत: एक्वेरियम मे आक्सीजन बनी रहे इसके लिए एयरेटर लगाए जाते हैं जो निरंतर आक्सीजन की आपूर्ति करते हैं। एयरेटर के साथ सुन्दर खिलौने जोड दिए जाते हैं जो एक्वेरियम की सुन्दरता मे चार चांद लगा देते हैं।
ल्ल पालने वाली प्रमुख प्रजातियां- रंगीन मछलियों की विभिन्न सुन्दर प्रजातियां होती हैं सुन्दरता की दृष्टि से लोग गोल्ड फिश, अपलुक गोल्ड, रेडकैप, शुपकिन व पैरट मछली पसंद करते हैं। एक्वेरियम की गंदगी साफ करने के लिए भी कुछ मछलियां जैसे सकरकैट रखी जाती है जो गंदगी खा लेती है और एक्वेरियम साफ बना रहता है।

ल्ल टिकाऊ या हार्ड फिश- सुन्दर मछलियां बहुत केयर मांगती हैं। देखरेख के अभाव मे ये मर भी जाती हैं इसलिए ज्यादातर लोग कम देखरेख करनेवाली मछलियां पालना पसंद करते हैं जो ज्यादा समय तक सरवाइव करती हैं। इनमें मुख्य हैं -ब्लेक मौली, मूनटैल मौली, गप्पी, फ्लोरोसेन्ट मछली व गोल्डन कार्प।

ल्ल फिश फूड की बहुत मांग- लोग मछली पाल रहे हैं तो उनका भोजन भी रोज देना होता है इसके लिए बाजार मे फिश फूड का पैकेट आता है। एक मछली को एक समय में इसके दो दाने खाने के लिए देना होते हैं। दोनों समय मछली को भोजन देना होता है।
ल्ल रंग गहरा करने का फूड- कुछ फूड मछलियों का रंग बरकरार रखने के लिए भी बाजार मे उपलब्ध है इससे मछलियों का रंग गहरा बना रहता है।

ल्ल वाइट स्पाट मुख्य बीमारी- मछली को यदि वाइट स्पाट हो जाते हैं तो वह मर जाती है। ये छूत की बीमारी होती है, अत: ये बीमारी होने पर शीघ्र ही उपचार हेतु मछली के एक्वेरियम में मिथलीन ब्लू नामक दवा की चार से छ: तक बूंद डाल देना चाहिए ताकि रोग का उपचार हो सके और हम मछली के मरने के वियोग से बच सकें।
-ललित श्रीवास्तव, संचालक एक्वा क्लब शॉप, फ्रीगंज

Author: Dainik Awantika