अर्बन हाट की 51 दुकानें रखरखाव के अभाव में हुई खंडहर

 

करोड़ों खर्च कर बनाई दुकानें और मेला अस्थाई दुकानों पर

 

इंदौर। वर्ष 2006-7 में खादीग्राम उद्योग को लालबाग पैलेस के पीछे लगभग साढ़े 5 एकड़ जमीन आवंटित हुई थी। यहां हस्तशिल्प और हथकरघा के मेले की गतिविधियों के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर 51 दुकानें बनाई थी जो अब खंडहर में तब्दील हो गई है।
खादी ग्रामोद्योग के अंतर्गत प्रमुख रूप से खादी, हथकरघा, रेशम और हस्तशिल्प विभाग काम करते हैं। इसमें हस्तशिल्प और हथकरघा को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2007-8 में 51 दुकानें बनाई।
बमुश्किल इन दुकानों पर एक या दो मर्तबा मेले के लिए दुकानें सजी और अब जर्जर दुकाने हो गई है। वैसे कहने को तो अर्बन हाट बाजार में अभी तक 30 से 35 बड़े मेलों का आयोजन किया गया है और इसमें भी 4 वर्ष को छोड़ दें तो यहां कोई बड़ा आयोजन नहीं हो पाया है।
विभागीय अफसरों की लापरवाही का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां सालाना मेंटेनेंस की राशि भी मिलती है। दुकानों का मेंटेनेंस नहीं किया गया है। हर वर्ष 10 लाख मेंटेनेंस के फिर भी लगती है अस्थाई दुकानें खादी ग्रामोद्योग से प्रतिवर्ष अर्बन हाट में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए इन दुकानों के मेंटेनेंस के लिए 10 लाख रुपए मिलते हैं।
इसमें तीन लाख से अधिक स्वीकृति को लेकर ही खर्च किए जाते हैं। अभी तक बिजली के 5 लाख सालाना भुगतान बिल के रूप में किया जा रहा है।

विभागीय अफसरों की लापरवाही से करोड़ों खर्च —

इसके साथ ही इतनी बड़ी राशि मिलने के बावजूद मेंटेनेंस का काम नहीं करने से दुकानें जर्जर हो गई है और बारिश में शटर से लेकर तालो पर भी जंग लग गया है। यहां पर मेला तो लगता है लेकिन उसके लिए टीन शेड की अस्थाई तौर पर दुकानें लगाई जाती है।
अर्बन हाट हस्तशिल्प विभाग प्रबंधक देवेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि यहां पर बनी हुई सभी दुकाने अंदर की ओर है जहां लोगो की बराबर नजर नहीं पड़ती है इसलिए मैदान में टेंट लगाकर टीन शेड की अस्थाई दुकानें लगाकर मेले का आयोजन किया जाता है। अभी तक सिक्योरिटी पर अधिक राशि खर्च होती रही है। बाहरी प्रदेशों से हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योग से संबंधित तैयार सामग्री को लेकर इस मेले में भाग लेने वाले लोगों को इन दुकानों में ठहराया जाता है।