फसलों के नुकसान का सर्वे पारदर्शिता के साथ किया जा रहा

सारंगपुर। कलेक्टर हर्ष दीक्षित ने सारंगपुर ब्लॉक के तहत आने वाले ग्राम लीमाचौहान, भैंसवामाता, पाडल्यामाता के खेतों में उतर कर बे-मौसम बरसात एवं अतिवृष्टि से किसानों की फसलों की क्षति का अवलोकन कर फसलों की स्थिति का जायजा लिया तथा किसानों से फसलों के नुकसान के संबंध में चर्चा की। कलेक्टर दीक्षित ने कहा कि फसलों के नुकसान के सर्वे का कार्य पूरी पारदर्शिता के साथ तीन दिवस के अंदर किया जायेगा। पात्रतानुसार प्रत्येक किसान को सहायता राशि उपलब्ध कराई जायेगी।
कलेक्टर दीक्षित ने खेतों में पहुंचकर किसानों की सोयाबीन की कटी फसल के नुकसान का अवलोकन कर किसानों से फसल के नुकसान के संबंध में जानकारी ली। उन्होंने इस दौरान सोयाबीन की फलियों के नुकसान को भी देखा। फसलों के अवलोकन के दौरान नायब तहसीलदार मोहित सिनम सहित पटवारी उपस्थित थे। कलेक्टर ने फसलों के नुकसान के अवलोकन पश्चात कृषकों को भरोसा दिलाया कि तीन दिन के अंदर राजस्व अमले द्वारा फसलों के नुकसान का सर्वे पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाएगा। सर्वे उपरांत पात्रतानुसार जिन किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है उन्हें नियम एवं पात्रतानुसार राशि उपलब्ध कराई जायेगी। उल्लेखनीय है कि क्षेत्र में पिछले दिनों लगातार आई वर्षा के चलते कई किसानों की सोयाबीन की फसलें खराब हो गई। ऐसे में कलेक्टर दीक्षित ने अमले के साथ सारंगपुर विकासखंड क्षेत्र के विभिन्ना गांवों का अवलोकन कर सोयाबीन की फसल में हुए नुकसान की जानकारी ली।
कलेक्टर ने लीमाचौहान, भैंसवामाता, पाडल्यामाता का भ्रमण किया एवं काश्तकारों से चर्चा की एवं उनके द्वारा फसल खराब की जानकारी ली। इन गांवों में मौके पर खड़ी और कटी हुई फसल जो पानी से खराब हुई है उनका निरीक्षण किया तथा जिनको वास्तविक नुकसान हैं उनको चिन्हित करना और उनको क्रॉप इंशोरेंश एप द्वारा शिकायत दर्ज करवाने के निर्देश दिए ताकि जिनका वास्तविक नुकसान है उनको क्षति राशि मिल सके। इस दौरान उन्होंने सभी अमले को तेज गति से सर्वे के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हमने पटवारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, सचिव-जीआरएस की सर्वे टीमें बनाई है। उन्होंने किसानों से कहा कि बीमा राशि लेने किसान स्वयं सूचना दे। उन्होंने कहा कि सोयाबीन की फसलों में हुए खासे नुकसान को देखते हुए हमने अब सर्वे टीमों को खेतों में सर्वे के लिए भेज दिया है। सर्वे टीमों में संबंधित हल्कों के पटवारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, गांव के सचिव या जीआरएस आदि को शामिल किया है। उक्त कर्मचारियों की टीमें अपने-अपने क्षेत्र में खेतों पर पहुंचकर अधिक से अधिक नुकसान वाले खेतों का आंकलन कर रहे हैं।