दैनिक ब्रह्मास्त्र ने किया संस्कृत दिवस पर संस्कृत के विद्वानों और आचार्यों का सम्मान

संस्कृत के विद्वान अतिथियों ने कहा- दैनिक ब्रह्मास्त्र संस्कृत के माध्यम से संस्कृति को बढ़ाने का कर रहा कार्य

स्व. भुवनेश पांडेय की स्मृति में संस्कृत दिवस पर हुआ सम्मान समारोह

ब्रह्मास्त्र उज्जैन। वेदों और विलुप्त होती जा रही संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए भी संस्कृत दिवस मनाने जैसे आयोजनों की आवश्यकता है। उज्जैन में दैनिक ब्रह्मास्त्र ने जो आयोजन किया है, वह सराहनीय है। मुख्य अतिथि रामानुज कोट के पीठाधीश्वर प्रमुख रंगनाथाचार्य जी ने अपने विचार संस्कृत में व्यक्त करते हुए कहा कि यह हमारे लिए गौरव की बात है कि हमारे उज्जैन शहर में संस्कृत भाषा में समाचार पत्र निकलता है। यह हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। हमें संस्कृत का ज्यादा से ज्यादा अध्ययन करना चाहिए, ताकि यह देव भाषा आम जन की भाषा बन सके। इस अवसर पर
विशेष अतिथि श्री सदानंद त्रिपाठी ने दैनिक अवंतिका परिवार द्वारा संस्कृत के संरक्षण करने हेतु दैनिक ब्रह्मास्त्र समाचार पत्र को संस्कृत में लगातार प्रकाशित करने की सराहना की। उन्होंने संस्कृत की महत्ता पर भी विस्तार से बताया।
विशेष अतिथि श्री कुंज बिहारी पांडेय ने कहा कि संस्कृत के महत्व को समझेंगे तो स्वयं ही लगेगा कि हम इसे आत्मसात करें। यह सिर्फ भारत की भाषा नहीं बल्कि पूरे विश्व की भाषा है। सम्मान समारोह को श्री महाकालेश्वर वैदिक विद्यालय के निदेशक डॉ पीयूष त्रिपाठी,, दैनिक अवंतिका समूह के प्रधान संपादक सुरेंद्र मेहता, दैनिक ब्रह्मास्त्र के संपादक संदीप मेहता, कार्यकारी संपादक योगेंद्र जोशी सहित अन्य अतिथि विद्वानों ने भी संबोधित किया। अतिथि गण दैनिक अवंतिका समूह के संस्कृत भाषा में प्रकाशित एकमात्र सांध्य दैनिक समाचार पत्र दैनिक ब्रह्मास्त्र द्वारा संस्कृत भाषा में आयोजित सम्मान समारोह में बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री सुरेंद्र मेहता मेहता एवं श्री योगेंद्र जोशी ने की।
संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य में दैनिक ब्रह्मास्त्र ने यहां संस्कृत भाषा के कई विद्वानों और आचार्यों का सम्मान किया। उन्हें शाल, श्रीफल और सम्मान पत्र भेंट किए गए। हाटकेश्वर धाम के खचाखच भरे हाल में सम्मान समारोह को कई विद्वानों ने संबोधित किया। रक्षाबंधन पर्व पर अवकाश के बावजूद सम्मान समारोह में कई विद्वान, आचार्य, वेद पाठी, गणमान्य नागरिक और आमजन शामिल हुए। सर्वप्रथम मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।
कोरोना काल में दिवंगत हुए स्व. भुवनेशजी पांडेय की स्मृति में आयोजित इस सम्मान समारोह में अतिथियों का स्वागत नीलेश शर्मा, राकेश परमार, संजय गंगराड़े, पृजेश पांडे, मनोज भटनागर, शैलेष नागर , सचिन नागर, राजेश तोमर, कैलाश पाटीदार, सुनील जैन , संतोष जोशी, जीतेन्द्र सिंह टक्कू, अमित नागर, अमित, जायसवाल
ने किया। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन डॉ. गरिमा दवे ने किया। आभार श्री संदीप मेहता ने माना। कार्यक्रम के सूत्रधार वेदाचार्य निशांत शर्मा थे।

इन विद्वानों व आचार्यों का हुआ सम्मान

इस अवसर पर इन संस्कृत विद्वानों व आचार्यों का सम्मान हुआ- डॉ. गोपाल शुक्ल, डॉ. पतंजलि पांडे, डॉ सदानंद, विजय दुबे , आकाश रावल, डॉ महेंद्र पंड्या, डॉ वेद प्रकाश शुक्ल, ऋषि जोशी , डॉ. जद्दीपाल, सवाई सिंह, विक्रम, उमाकांत , कुंज बिहारी, केदारनाथ शुक्ल, केदार नारायण जोशी, डॉ. मूसलगांवकर, पं. नंदकिशोर पांडे, पं. संजय तिवारी, पं. मोहित तिवारी, पं.जितेंद्र पाठक, पं. वासुदेव शास्त्री, पं.भरत पंडिया, पं. मितेश पांडे, पं. राम शुक्ल, पं.अमर डिब्बेवाला, पं.रूपम व्यास, पं.रामा गुरु, पं. दीपतेश दुबे, पं. शैलेन्द्र व्यास, पं. उत्तम दुबे, युवा आचार्य श्री तनुज विजय दीक्षित (एम.ए. संस्कृत, लेखक एवं वक्ता), इंदौर प्रमुख रूप से शामिल हैं। इनके साथ ही डॉ. अभिषेक सोनी एमए पीएचडी संस्कृत , डॉ हेमंत शर्मा पीएचडी संस्कृत व्याख्याता , डॉ. प्रतीक्षा सोनी पीएचडी संस्कृत शिक्षक , डॉ. हरिप्रिया आर. शुक्ला पीएचडी संस्कृत व्याख्याता , पं. राजेश उपाध्याय एमए. संस्कृत वेद गुरु, श्रीमती चंचल देराश्री एमए एम फिल संस्कृत प्रचारक, वाणी शर्मा एमए. संस्कृत, एमए जनसंचार , लघु कथा लेखिका, संस्कृत प्रचारक , पं. आशीष दवे एमए संस्कृत व्याख्याता, श्रीमती कुसुम दीक्षित एमए. संस्कृत शिक्षक, मनीष बैरागी एमए संस्कृत शिक्षक, श्रीमती गायत्री मैर एमए संस्कृत शिक्षक, डॉ. दिनेश चौबे पीएचडी संस्कृत व्याख्याता, डॉ. गरिमा दवे एम ए पीएचडी संस्कृत शिक्षक का भी सम्मान हुआ।

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संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने दी बधाई

मध्य प्रदेश की संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने दैनिक ब्रह्मास्त्र द्वारा संस्कृत दिवस मनाने और इस दिवस के उपलक्ष्य में संस्कृत विद्वानों और आचार्यों का सम्मान समारोह आयोजित करने की सराहना की। दैनिक ब्रह्मास्त्र से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जननी है। संस्कृत दिवस पर मैं सभी को बधाई देती हूं। संस्कृत दिवस पर इस तरह के आयोजन सुखद हैं। उन्होंने सम्मानित हुए सभी विद्वानों और आचार्यों को भी बधाई दी।

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संस्कृत विश्व की 57% भाषाओं की जननी है- तनुज

कार्यक्रम में इंदौर से विशेष रूप से उपस्थित युवा आचार्य श्री तनुज विजय दीक्षित ने बताया देवताओं द्वारा बोले जाने वाली देव वाणी 57 प्रतिशत भाषाओं की जननी है, संस्कृत भाषा में लगभग 102 अरब 78 करोड़ 50 लाख शब्दों की सबसे बड़ी शब्दावली है। उसके बावजूद इसमें बिन्दु, अल्पविराम एवं पूर्णविराम का प्रयोग नहीं किया गया है! महाभारत काल में वैदिक संस्कृत का प्रयोग होता है लेकिन इस भाषा की महत्ता को हम सब भली भाँति जानते है, लेकिन संस्कृत आज देश की सबसे कम बोले जानी वाली भाषा बन गई है, यह चिंता का विषय तो है! आज का युवा भारतीय संस्कृति सभ्यता और प्राचीन चीजों से बहुत दूर हो रहा होता जा रहा है। हमारी संस्कृति में 5,000 साल पुरानी संस्कृत भाषा और इसमें लिखें हमारे वेदों में, शास्त्रों में, पुराणों में इतना। कुछ है की पूरी दुनियाँ इसी में मौजूद रहस्यों को समझ कर लाभ उठा रही है।