कंबोडिया बोला- थाई सेना उकसावे वाली हरकत कर रही-कंबोडिया ने थाईलैंड के आरोपों को झूठा बताया है। उसका कहना है कि उसने कोई हमला नहीं किया और वह सभी मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना चाहता है। लेकिन थाई सेना कई दिनों से उकसाने वाली हरकतें कर रही है।इस लड़ाई की वजह से बॉर्डर के पास रहने वाले थाईलैंड के बहुत से लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। थाई सरकार का कहना है कि उसने लगभग 70% नागरिकों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया है।इस दौरान एक नागरिक की मौत भी हुई, लेकिन सरकार का कहना है कि उसकी मौत बीमारी की वजह से हुई है। तीन नागरिक भी थाई फायरिंग में घायल हुए हैं और उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट किया गया है।
इस बीच मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने बढ़ती लड़ाई पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि यह झड़पें उस मेहनत को बर्बाद कर सकती हैं, जिनकी वजह से दोनों देशों के बीच संबंध थोड़े स्थिर हुए थे।
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थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद 118 साल पुराना है। इसका केंद्र प्रीह विहार और ता मुएन थॉम जैसे प्राचीन मंदिर हैं, जो दोनों देशों की सीमा के बेहद करीब स्थित हैं।1907 में, जब कंबोडिया फ्रांस के अधीन था, दोनों देशों के बीच 817 किमी लंबी सीमा खींची गई। थाईलैंड ने इसका विरोध किया, क्योंकि नक्शे में प्रीह विहार मंदिर कंबोडिया के हिस्से में दिखाया गया था। ता मुएन थॉम मंदिर को थाईलैंड में दिखाया गया, जिसे कंबोडिया अपना मानता है।यह विवाद 1959 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय तक पहुंचा। 1962 में अदालत ने प्रीह विहार मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा माना। थाईलैंड ने फैसले को स्वीकार किया, लेकिन आसपास की जमीन पर दावा आज भी जारी है।ऐतिहासिक रूप से भी खमेर साम्राज्य (कंबोडिया) और सियाम साम्राज्य (थाईलैंड) के बीच सीमाओं और प्रभाव क्षेत्र को लेकर संघर्ष लंबे समय तक चलता रहा है, जिसका असर आज तक दिखता है।
