मांगे नहीं मानी तो ग्रीन फील्ड मामले में 4 दिसंबर बाद से होगा आंदोलन, बाल हनुमान मंदिर में हुंकार भरी किसानों ने, लैंड पुलिंग पर सरकार से आरपार को तैयार

ब्रह्मास्त्र उज्जैन

लैंड पुलिंग के नाराज किसानों ने बुधवार को जयसिंहपुरा में एक बार फिर से हुंकार भरी है। किसान किसी भी हालत में योजना के तहत जमीन देने को तैयार नहीं है। किसानों में आक्रोश की स्थिति देखी गई हैं। बाल हनुमान मंदिर परिसर में आयोजित बैठक में किसान संघर्ष समिति और भारतीय किसान संघ के किसान साथ-साथ बैठे और अगली रणनीति पर चर्चा की है। इस दौरान किसानों ने साफ तौर पर जता दिया कि किसान लैंड पुलिंग योजना के तहत सिंहस्थ क्षेत्र में पक्के निर्माण के लिए जमीन देने को तैयार नहीं है। बैठक में मौजूद किसानों को भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमलसिंह आंजना ने भी संबोधित किया।

जनहित पार्टी भी उतरी मैदान में
लैंड पुलिंग एक्ट को निरस्त कराने की मांग को लेकर एक के बाद एक संगठन विरोध में सामने आ रहे हैं। इसी के तहत जनहित पार्टी भी मैदान में उतर गई हैं। इसमें संघ के संबंधित अचानक नेतृत्व कर रहे हैं। मंगलवार को पार्टी ने प्रदर्शन किया है। इसमें पार्टी के राष्टÑीय अध्यक्ष पूर्व प्रचारक अभय जैन, महामंत्री मनीष काले सहित अनेक लोगों ने प्रदर्शन किया है और उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र से नगर विकास योजना टीडीएस 8, 9, 10, 11 लैंड पुलिंग एक्ट का गजट नोटिफिकेशन रद्द करने के लिए मांग उठाई है। किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने, सिंहस्थ क्षेत्र पक्के निर्माण नहीं किए जाने सिंहस्थ में अस्थायी निर्माण के लिए अपनी बात ज्ञापन स्वरूप रखते हुए जिला प्रशासन के तहसीलदार को सौंपी हैं। प्रदर्शन के दौरान संघ विचार धारा के कई कार्यकर्ता शामिल हुए। यह प्रदर्शन कलेक्टोरेट पर किया गया।

अधिकारियों को घेरा एक घंटे
उज्जैन-जावरा ग्रीन फील्ड रोड के विरोध में इससे जुड़े 62 गांवों के प्रतिनिधियों ने मध्यप्रदेश राज्य सडक विकास निगम के उज्जैन कार्यालय में अधिकारियों को घेरकर एक घंटे तक चैनल गेट बंद रखा है। इसमें 50 से ज्यादा प्रभावित किसान शामिल थे। ग्रामीणों ने खुले शब्दों में कहा भले हमारी जान चली जाए। निर्माण नहीं होने देंगे। यदि हमारी मांगें नहीं मानी तो सड़क नहीं बनने देंगे।किसानों ने चैनल गेट बंद कर दिया और अधिकारियों को जमकर खरीखोटी सुनाई। अधिकारी कर्मचारी कार्यालय में ही बंधकर रह गए थे। जाते-जाते किसानों ने कहा कि हमने सभी स्तरों पर अपनी समस्याएं रख दी हैं। इसके बाद भी यदि हमारी मांगें नहीं मानी गई तो गांव की तरफ सड़क बनाने किसी को मत भेजना। हम किसी भी स्थिति में सड़क निर्माण नहीं होने देंगे। यहां से सभी ग्रामीण कलेक्टर, कमिश्नर, विधायक और सांसद के कार्यालय पहुंचे। सभी जगह आवेदन देकर ग्रामीणों ने अंतिम चेतावनी दे दी है। किसानों ने मुख्य रूप से दो मांगे रखी है। इसमें उज्जैन से जावरा तक बनने वाली 99 किमी हाईवे को जमीन से 10-15 फीट ऊंचाई से बनाने के बजाय अन्य सामान्य फोरलेन की तरह बनाया जाए ताकि क्षेत्र के गांवों को भी इसका लाभ मिले। इसके साथ ही भूमि अधिग्रहण से पहले किसानों को वर्तमान बाजार मूल्य के आधार पर मुआवजा दिया जाए। किसानों का कहना है कि क्षेत्र में गाईड लाईन काफी कम है और उनकी जमीन खरीदी काफी अधिक रकम की है। इसमें उन्हें मुआवजे में नुकसान है। उन्हें बाजार दर से मुआवजा दिया जाए। सरकार मात्र कुछ लाख में करोडों की जमीन हडपने की तैयारी में है।

सेवरखेड़ी का काम अब भी रूका हुआ
तीन दिन पूर्व सेवरखेडी बैराज का काम किसानों ने बंद करवा दिया था। किसानों का कहना था कि 8 माह से काम चल रहा है लेकिन मुआवजे को लेकर उन्हें स्पष्ट नहीं किया जा रहा है। उन्हें मुआवजा विशेष पैकेज के तहत मुआवजा चाहिए। इस मामले को लेकर योजना से प्रभावित होने वाले 13 गांव के किसानों ने बैठक भी की थी। प्रशासन ने उन्हें उच्च बिक्री दर का पंजीयन मांगा था वो भी किसानों ने दे दिया था। इसके बाद भी मामले में अब तक कोई हल नहीं निकल सका है। लगातार तीन दिन से यहां काम रूका हुआ है। जल संसाधन विभाग की 614.53 करोड की सेवरखेडी-सिलारखेडी परियोजना के तहत उज्जैन ग्रामीण अनुभाग के कल्याणपुरा गांव सहित परियोजना से क्षेत्र के 13 गांवों के 250 किसान प्रभावित होंगे। इन किसानों की करीब 400 बीघा जमीन अधिगृहीत होना है। क्षेत्र के ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया है कि अब मुआवजा नहीं मिलने तक काम नहीं होगा। इस मामले में क्षेत्र के किसानों ने प्रशासन के समक्ष दो विकल्प रखे हैं जिसमें बाजार दर के आधार पर मुआवजा या विशेष पैकेज के के माध्यम से गाइड लाइन के अलावा अलग से फायदा मिले।

 

इंदौर-उज्जैन ग्रीनफिल्ड मामला गर्माएगा
इंदौर झ्रउज्जैन के लिए बनाए जाने वाले ग्रीन फिल्ड मार्ग को लेकर भी विरोध एवं आंदोलन जारी है। इस ग्रीन फिल्ड पर उज्जैन जिले के 7 एवं इंदौर के 21 गांव की जमीन आ रही है।किसान संघर्ष समिति उज्जैन के राजेश सोलंकी के अनुसार समस्त विरोध की स्थिति से प्रशासन को अवगत करवाया जा चुका है। 4 दिसंबर तक निर्णय होना है। हमारी मांगों में रोड की हाईट कम की जाना और बाजार दर से मुआवजा की मांग है।धारा 4 के प्रकाशन के साथ हमें ग्राम पंचायतों में बतायी गई बातों से सडक विकास निगम के अधिकारी पलट गए हैं। मार्ग वर्तमान लेबल से करीब 2 मीटर हाईट पर बनेगा। इससे किसानों को कोई लाभ नहीं है। या तो ये वीआईपी उपयोगी होगा या फिर दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे से जोडेंगे,जिसे लेकर अधिकारियों ने कहा भी है। हमने किसान न्याय यात्रा के दौरान भी पुरा मामला रखा था। किसानों को मात्र 8 लाख दे रहे हैं और 65 करोड प्रति किलोमीटर की सडक बना रहे हैं।बाजार दर के लिए हमने उच्चतम न्यायालय का न्याय दृष्टांत भी अधिकारियों को दे दिया है। अगर मांगे नहीं मानी गई तो 4 दिसंबर बाद से आंदोलन होगा और पूरे जोर से होगा।

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