उज्जैन। बुधवार सुबह से कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के लिए आस्था एवं श्रद्धा की भीड उमड पडी। शिप्रा तट रामघाट के साथ ही अन्य घाटों पर स्नान के लिए श्रद्धालु बडी संख्या में आए और उन्होंने स्नान करने के बाद घाटों पर दीपदान किया। इसके साथ ही धर्म और विभिन्न देव मंदिरों में दर्शन करने भी श्रद्धालू पहुंचे थे। दोपहर उपरांत ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने कार्तिक मेले में पहुंचकर मनोरंजन के साथ जलेबी एवं गराडू का लुत्फ उठाया है।
मंगलवार को बैकुंठ चतुर्दशी से ही यूं तो स्नान एवं दीपदान का क्रम शुरू हो गया था। इस दौरान सिद्ध्वट घाट पर श्रद्धालुओं ने पहुंचकर पितृों को तर्पण करने के साथ दीपदान भी किया था। कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान का विशेष महत्व होने से ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही शहरी क्षेत्र से भी बडी संख्या में महिलाएं शिप्रा तट पहुंची थी।
तडके से क्रम शुरू-
बुधवार तड़के से ही पावन शिप्रा में डुबकी लगाने के लिए विभिन्न घाटों पर आस्था का जनसैलाब उमड पड़ा था। सभी श्रद्धालुओं की एक ही चाहत रही कि जितनी जल्दी हो सके वे पुण्यसलीला में एक डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित कर लें। सुबह से ही सडक मार्ग से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बराबर बढती जा रही थी। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों से निजी वाहनों से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी जमकर रही है।जयसिंहपुरा, भूखीमाता रोड व बड़नगर रोड के साथ ही शिप्रा के घाटों पर श्रद्धालुओं के वाहनों के काफिले आना प्रारंभ हो गए थे। कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को लेकर श्रद्धालुओं में अपार उत्साह देखा गया। ग्रामीण क्षेत्रों व महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा के ब्रद्धालुओं की तादाद ज्यादा नजर आई। सभी भक्तिभाव के साथ शिप्रा में डुबकी लगाकर विभिन्न मंदिरों में पूजा पाठ की है। नरसिंहघाट, दत्त अखाड़ा, कार्तिक मेला क्षेत्र में वाहनों की लंबी कतार सुबह के समय देखी गई है।
धर्मराज मंदिर में दीप जलाए
राघाट के समीप धर्मराज मंदिर पर श्रद्धालु महिलाओं का जनघट रहा। पूर्णिना पर सभी धर्मराज के सम्मुख दीपक लगाकर अपने सुहाग की रक्षा व लंबी आयु की कानना करती नजर आई।
दीपदान का महत्व
शिप्रा नदी के पावन जल में महिलाएं दीप दान कर रही थी। कार्तिक पूर्णिना पर दीप दान का धार्मिक महत्व है। घाट पर ही पतल में बाती लगी हुई खूब बिक रहीं थी।
महाकाल मंदिर में रही भीड़
जनआस्था का प्रमुख केन्द्र रहा बाबा नहाकालेश्वर नदिर। अधिकतर श्रद्धालु स्नानोपरांत प्रसिद्ध ज्योतिलिंगहाकालेश्वर के दर्शन हेतु पहुंचे। मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ था।
कमजोर रही व्यवस्था-
शिप्रा में स्नान एवं दीपदान के लिए बडी संख्या में महिलाओं का आगमन हुआ था। इस दौरान नगर निगम की और से की गई व्यवस्था कमजोर दिखाई दी। स्नान के बाद महिलाओं को कपड़े बदलने के लिए चेंजिंग रूम अपर्याप्त साबित हुए ऐसे ने महिलाओं को शर्मसार होना पड़ा। कुछ महिलाएं साड़ी से आड़ करके दूसरी महिलाओं को कपड़े बदली कराती नजर आई।
आवागमन में गफलत-
शिप्रा के रामघाट आने को लेकर भी श्रद्धालु काफी परेशान होते देखे गए। छोटी पुलिया को तोडने का काम जारी होने के साथ मार्ग भी बंद कर दिया गया है ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालुओं में अधिकांश महिलाओं को रामघाट-दत्त अखाडा घाट की रपट को लेकर गफलत की स्थिति बनी रही और लोग बराबर इसका शिकार होते रहे। न तो इसे लेकर कोई सूचना पट्ट ही दिखाई दे रहे थे न ही मार्ग दर्शिका और चिन्ह ही देखे गए।
मेले में जमा रंग-
ग्रामीण क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं ने सुबह स्नान,दीपदान किया और उसके बाद धर्म दर्शन करने मंदिरों में पहुंचे थे। दोपहर उपरांत ग्रामीण श्रद्धालुओं की संख्या कार्तिक मेले में बढने लगी थी। मेला क्षेत्र में लगी खानपान की दुकानों पर बढती भीड को देखते हुए अतिरिक्त कर्मचारियों को लगाया गया था। जलेबी एवं तेज मसाले वाले गराडू की मांग जमकर इस दौरान रही है। अपरांह् में झूले वालों के यहां भी मनोरंजन के लिए बडी संख्या में भीड देखी गई है।
