हिंगोट युद्ध में इस बार 35 से ज्यादा घायल
तुर्रा और कलंगी दलों के बीच करीब डेढ़ घंटे तक चला युद्ध; आधा घंटे पहले ही खत्म हुआ
इंदौर (गौतमपुरा)
देशभर में प्रसिद्ध गौतमपुरा का परंपरागत हिंगोट युद्ध इस बार भी साहस और परंपरा का प्रतीक बना। धोक पड़वा पर आयोजित यह युद्ध करीब डेढ़ घंटे तक चला, जिसमें तुर्रा और कलंगी दलों के योद्धाओं ने एक-दूसरे पर अग्निबाणों की वर्षा की।
इस बार युद्ध आधा घंटे पहले ही समाप्त हो गया।
💥 35 से ज्यादा घायल
ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर वंदना केसरी के मुताबिक, 35 से अधिक लोग घायल हुए।
इनमें से 30 का मौके पर ही इलाज किया गया और सभी की हालत स्थिर है।
वहीं, थाना प्रभारी अरुण सोलंकी ने बताया कि गौतमपुरा और आसपास के गांवों के कुल 44 लोग घायल हुए हैं।
इनमें से 5 को देपालपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, जबकि 4 को महावीर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
एक व्यक्ति को फ्रैक्चर हुआ है, बाकी सभी खतरे से बाहर हैं।
🔥 परंपरा और शौर्य का प्रतीक
हिंगोट युद्ध को जानलेवा नहीं, बल्कि साहस, परंपरा और लोक आस्था का प्रतीक माना जाता है।
यहां हार-जीत नहीं, बल्कि शौर्य और परंपरा का प्रदर्शन मायने रखता है।
हर साल धोक पड़वा पर आयोजित यह आयोजन हजारों दर्शकों को आकर्षित करता है।
👮♂️ सुरक्षा के सख्त इंतजाम
युद्ध के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए 200 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात रहे।
दर्शकों के लिए 15 फीट ऊंचे बैरिकेड्स लगाए गए थे।
करीब 15,000 से अधिक लोग युद्ध देखने पहुंचे।
अंधेरे में उड़ते हिंगोट कई बार दूर जाकर गिरे, जिससे ज्यादातर लोगों को हल्की चोटें आईं।
