उज्जैन में श्राद्ध पक्ष 2025 की शुरुआत: पितरों की शांति के लिए पिंडदान और ऑनलाइन तर्पण
उज्जैन | 7 सितंबर 2025
आज से श्राद्ध पक्ष (पितृपक्ष) की शुरुआत हो गई है। उज्जैन के पवित्र घाटों पर देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और जलदान कर रहे हैं। उज्जैन को “उत्तर भारत का गया” कहा जाता है, इसलिए यहां श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है।
ऑनलाइन तर्पण की सुविधा
कई श्रद्धालु उज्जैन नहीं आ पा रहे हैं, उनके लिए पंडितों ने ऑनलाइन तर्पण की व्यवस्था की है। बुलंदशहर और गाजियाबाद से श्रद्धालुओं ने पहले दिन ऑनलाइन तर्पण कर पंडितों को ऑनलाइन दक्षिणा दी।
धार्मिक मान्यताएं
- मान्यता है कि भगवान राम, लक्ष्मण और सीता ने राजा दशरथ का तर्पण उज्जैन में किया था।
- माता पार्वती ने सिद्धवट पर वटवृक्ष लगाया था, जिस पर दूध चढ़ाने की परंपरा आज भी निभाई जाती है।
- क्षिप्रा नदी को मोक्षदायिनी माना जाता है, यहां तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्राद्ध पक्ष की अवधि
- आरंभ: 7 सितंबर (पूर्णिमा तिथि) सुबह 6 बजे से दोपहर 12:58 बजे तक। इसके बाद चंद्रग्रहण का सूतक शुरू हो गया।
- समापन: 21 सितंबर (सर्वपितृ अमावस्या)।
इस बार एक तिथि क्षय होने के कारण कुल 15 दिनों के श्राद्ध होंगे।
विशेष योग
- 18 सितंबर (गुरुवार): पुष्य नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग। इस दिन श्राद्ध करना विशेष पुण्यकारी और पितरों को मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है।
तिथिवार श्राद्ध
- 7 सितंबर (रविवार): पूर्णिमा श्राद्ध (12:58 बजे तक)
- 8 सितंबर (सोमवार): प्रतिपदा
- 9 सितंबर (मंगलवार): द्वितीया
- 10 सितंबर (बुधवार): तृतीया
- 11 सितंबर (गुरुवार): चतुर्थी, कुमार पंचमी
- 12 सितंबर (शुक्रवार): षष्ठी
- 13 सितंबर (शनिवार): सप्तमी
- 14 सितंबर (रविवार): अष्टमी
- 15 सितंबर (सोमवार): नवमी
- 16 सितंबर (मंगलवार): दशमी
- 17 सितंबर (बुधवार): एकादशी
- 18 सितंबर (गुरुवार): द्वादशी, संन्यासियों का श्राद्ध
- 19 सितंबर (शुक्रवार): त्रयोदशी, मघा श्राद्ध
- 20 सितंबर (शनिवार): चतुर्दशी (अकाल मृत्यु वाले)
- 21 सितंबर (रविवार): सर्वपितृ अमावस्या
📌 निष्कर्ष:
श्राद्ध पक्ष के दौरान उज्जैन के घाट धार्मिक आस्था और पितृकर्म के प्रमुख केंद्र बने रहेंगे। इस बार ऑनलाइन तर्पण की व्यवस्था ने देश-विदेश के श्रद्धालुओं को अपने पितरों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर दिया है।
