उज्जैन। सिंहस्थ के निर्माणों को लेकर धरातल कमजोर है और कागजों पर मजबूत इबारत लिखी जा रही है। धरातल पर काम के हालात कम ही हैं और कागजों में स्वीकृति दे दी गई है। काम में उलझनों की डोर मजबूत है और स्थल पर काम की डोर कमजोर है। अब तक 19 पूलों के निर्माण को स्वीकृति मिली है,इसमें से मात्र 2 के काम ही धरातल पर आए हैं। ठेकेदारों के काम में भी सुरक्षा के साथ तमाम नियमों की अनदेखी साफ है।
सिंहस्थ के कामों को लेकर जिस गति से काम सामने आने चाहिए थे वह गति सामने नहीं आ पा रही है। 5 पूलों के निर्माण के लिए वर्ष बजट प्रावधान वर्ष 2021-22 से वर्ष 2024-25 तक किया गया है। इसके अलावा शेष 14 पूलों के निर्माण के लिए बजट प्रावधान वर्ष 2025-26 के दौरान किया गया है। हाल यह हैं कि विभागीय रिपोर्ट में वर्ष 2021-22 में जिस पूल के निर्माण का बजट प्रावधान किया गया था उसके निर्माण को लेकर कार्यादेश मई के दुसरे सप्ताह तक जारी नहीं किया गया था। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सिंहस्थ के निर्माण किस गति से दौड लगा रहे हैं और उनमें कितनी उलझनों की डोर में उलझे हुए हैं मात्र दो कार्य ही ऐसे हैं जो विभागीय रिपोर्ट के अनुसार धरातल पर 45 प्रतिशत एवं 70 प्रतिशत तक प्रगति पर हैं।खास तो यह है कि इन निर्माणों की कार्यपूर्णता की तिथि भी निकल चुकी है या निकलने वाली है।
धरातल पर दो निर्माण जो समय पर पूर्ण नहीं हुए-
लोक निर्माण विभाग सेतु संभाग उज्जैन के अंतर्गत उज्जैन –बडनगर मार्ग के रेलवे समपार क्रमांक 23 उज्जैन –नागदा रेलखंड के किमी 48/9-10 के बदले रेलवे ओव्हर ब्रिज का निर्माण 4.86 करोड की लागत का कार्यादेश सालों पूर्व दिया गया था। इसकी कार्यपूर्णता 22 जुलाई 25 को होना है जबकि अभी मात्र विभागीय रूप से ही 45 प्रतिशत ही काम हुआ है। इसी प्रकार इंदौर-देवास-उज्जैन रेलखंड विक्रम नगर कडछा समपार क्रमांक 7/19-21 पर रेलवे ओव्हर ब्रिज का निर्माण कार्य 25.44 करोड की लागत से किया जा रहा है । इस निर्माण को 23 मई 25 को पूर्ण होना था लेकिन यह मात्र 70 प्रतिशत ही हो सका है।
मई तक फ्रीगंज ब्रिज का कार्यादेश नहीं-
उज्जैन शहर में फ्रीगंज रेलवे ओव्हर ब्रिज के समानांतर ब्रिज का निर्माण किया जाना है। पूर्व में इसे इंदिरा गांधी चौराहा से चामुंडा माता चौराहा ब्रिज का नाम दिया गया था। इसकी लागत 91.77 करोड की है । इस ब्रिज के लिए प्रशासकीय स्वीकृति 14 जुलाई 23 को हो गई थी लेकिन तकनीकी स्वीकृति पूरे डेढ साल बाद 20 जनवरी 25 को दी गई । खास तो यह है कि इस ब्रिज के निर्माण को लेकर मई 25 में निविदा समिति ने अनुमोदित किया है। अभी इसमें निविदा की प्रक्रिया के साथ कार्यादेश तक की प्रक्रिया में ही समय लगना है।
कार्यादेश को एक माह हुए –
विभाग ने हरिफाटक से रिंग रोड इंदौर रोड भैरवगढ शिप्रा नदी पर वाकणकर ब्रिज
समानांतर उच्च स्तरीय पूल का निर्माण के लिए मई में कार्यादेश जारी किया है।22.45 करोड लागत के इस ब्रिज में आंशिक रूप से सांवराखेडी की और भूमि अधिग्रहण किया जाना है लेकिन एक माह बाद भी यहां हलचल तक नहीं है। इसी तरह से मंगलनाथ –कमेड रोड नाले पर समानांतर पूल का निर्माण किया जाना है। इसका कार्यादेश दे दिया गया है। इसकी लागत 10.41 करोड है। यहां भी एक माह में हलचल तक नहीं है।
14 ब्रिज अभी कागजों में उलझे हुए-
19 में से 14 ब्रिज की स्थिति यह है कि अभी ये विभागीय स्तर पर कागजों में ही चल रहे हैं। इनमें से दो ब्रिज नगर निगम उज्जैन ने लोक निर्माण विभाग सेतु संभाग को अंतरित किए हैं। इनमें से अधिकांश में भू-अर्जन की स्थिति है।
ये हैं कागजों में उलझे 14 ब्रिज-
1.पीपलीनाका से भैरूगझ मार्ग पर शिप्रा नदी पर समानांतर 2 लेन ब्रिज।
2.कर्कराज पार्किंग से भूखीमाता लालपूल पहुंच माग्र शिप्रा नदी पर 4 लेन ब्रिज।
3.एसआर-4 मार्ग त्रिवेणी हिल्स कालोनी से ग्राम सिकंदरी की और शिप्रा नदी पर 4 लेन ब्रिज।
- गऊघाट पाला से सांवराखेडी की और शिप्रा नदी पर 4 लेन ब्रिज।
5.कालभैरव मंदिर से गढकालिका मार्ग पर समानांतर शिप्रा नदी पर 2 लेन पूल।
6.नर्सिंहघाट पूल के समानांतर पूल ।
7.तपोभूमि से हामुखेडी मार्ग शिप्रा नदी पर ब्रिज।
8.कालभैरव-भैरवगढ-सिद्धवट-अंगारेश्वर पहुंचमार्ग ब्रिज सडक कार्य के साथ।
9.केडीगेट से गोंसा रोड शिप्रा नदी पर 4 लेन पूल।सडक के साथ।
- कार्तिक चौक से शंकराचार्य चौराहा रोड छोटा पूल शिप्रा नदी पर ब्रिज।
- लालपुल के डाउन स्ट्रीम में रेलवे पूल के समानांतर शिप्रा नदी पर 4 लेन पूल ।
12.उज्जैन-लालपुर-मक्सी मार्ग समपार क्रमांक 7 पर अतिरिक्त एक रेलवे ओव्हर ब्रिज पंचक्रोशी मार्ग।
- उज्जैन –मक्सी मार्ग पर पुराने समपार क्रमांक 2 पर समानांतर उज्जैन-इंदौर रेल सेक्शन पर आईटीआई के सामने 2 लेन ब्रिज।
14.हरिफाटक पार्किंग से महाकाल लोक पैदल यात्रियों के लिए अंडर पास।
नोट-कार्य की स्थिति विभागीय रिपोर्ट अनुसार 11 मई 2025 की है।
निर्माण के नियम ताक पर –
स्थिति यह है कि सिंहस्थ के निर्माण कार्यों में ठेकेदारों से नियमों का पालन करवाने में संबंधित विभाग नजरअंदाजी अपनाए हुए हैं। न तो साईड पर काम करने वाले मजदूर और उनके सहयोगी हेलमेट का उपयोग करते हैं और न ही साईड पर प्राथमिक चिकित्सा की स्थिति और सुविधा को ही जुटाया गया है। दो दिन पूर्व खान क्लोज डक्ट में उज्जैन के ही सुपरवाईजर की गिर कर मौत होने का मामला हो चुका है। प्रदुषण कम से कम हो इसके विपरित काम किया जा रहा है। पर्यावरण के नियमों को ताक में रखकर घाट के निर्माणों के काम को खोला गया है। इसमें भी ठेकेदार सुरक्षात्मक स्थितियों को नजरअंदाज किए हुए है।
