ब्रह्मास्त्र उज्जैन
सरकारी विभागों में कर्मचारियों और अफसरों के तबादलों की समय सीमा बीते 10 जून को खत्म हो गई है लेकिन जो जानकारी प्राप्त हुई है उसके अनुसार भले ही समय सीमा खत्म हो गई हो लेकिन बावजूद इसके वन, राजस्व, जनजातीय कार्य और उच्च शिक्षा जैसे विभागों में कर्मचारियों या अफसरों के तबादले ही नहीं किए जा सके है। पूरे प्रदेश के साथ ही उज्जैन जिले में भी इन विभागों के कई कर्मचारी और अधिकारी अपने तबादलों की राह देखते रहे।
विभागों के प्रमुख सचिवों, आयुक्तों और मंत्रियों के बीच तबादला सूची पर आम राय नहीं बन पाई है। इससे कई विभागों की लिस्ट जारी नहीं हो सकी है। कर्मचारियों से बातचीत और विभागीय पोर्टल पर जारी किए जाने वाले आदेशों की पड़ताल के अनुसार वन, राजस्व, जनजातीय कार्य, उच्च शिक्षा जैसे विभागों में तबादले ही नहीं किए। वहीं कुछ विभागों ने तबादला सूची जारी की है लेकिन उसमें भी नाम मात्र स्थानांतरण किए गए हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि विभाग अब पुरानी तारीख में तबादला आदेश निकालेंगे। बताया जाता है कि मंत्रियों, प्रमुख सचिवों और आयुक्तों के बीच तालमेल न होने के कारण सूची बार-बार मंत्री के बंगलों और अफसरों की टेबल तक पहुंच रही है। राजस्व विभाग, वन विभाग, खनिज विभाग, परिवहन विभाग, किसान कल्याण, ऊर्जा, पंचायत और ग्रामीण विकास, खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग, सहकारिता विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, महिला और बाल विकास विभाग में तबादलों की सूची पेंडिंग है।
कर्मचारी भी एक तरह से चिढ़े हुए थे
आबकारी, कमर्शियल टैक्स और पंजीयन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के मामले में भी सूची जारी होने का इंतजार है। मोहन सरकार में यह पहली तबादला नीति है। इसे एक मई से लागू किया गया। इसके पहले जब नीति नहीं आई थी तब कुछ मंत्रियों ने कार्यकर्ता और कर्मचारियों द्वारा तबादला नीति की मांग किए जाने का हवाला देकर सत्ता व संगठन के सामने नाराजगी व्यक्त की थी। कर्मचारी भी एक तरह से चिढ़े हुए थे, क्योंकि बीते चार वर्षों से तबादले नहीं हुए थे। जब सरकार ने तबादला नीति जारी कर दी, तब भी कई मंत्री और अफसर कर्मचारियों के आवेदन अंतिम समय तक दबाकर बैठे रहे।
