खुसूर-फुसूर विवादों से गार्डों का नाता

खुसूर-फुसूर

विवादों से गार्डों का नाता

धर्मनगरी के धर्मस्थलों पर श्रद्धालू शांति और ईश्वर के प्रति आस्था को लेकर आते हैं। यहां श्रद्धालुओं का सामाना विवादों से होता है और वह भी धर्मस्थल पर ही सार्वजनिक। विचार किजिए यहां से श्रद्धालु कितनी अच्छी स्मृतियों के साथ जाता होगा। मदिरा पान करने वाले मंदिर में पहले भी गार्डों ने श्रद्धालुओं के साथ मारपीट की थी अब फिर एक विडियो इंस्टाग्राम पर वायरल हो रहा है। श्रद्धालुओं खासकर महिला एवं बच्चों से लाठी से मारपीट के आरोप हैं गार्डों पर। यहां के जिम्मेदार साब गार्डेां के तरफदार हैं। प्रमुख मंदिर में भी यही हाल है। कभी यहां श्रद्धालुओं से गार्डों की अभद्रता ,मारपीट आदि के मामले अब यहां की व्यवस्था का अंग सा प्रतीत होने लगा है। यहां के गार्डों को प्रशिक्षण दिया गया लेकिन चिकने घडे पर पानी नहीं टिक सका। श्रद्धालुओं के साथ व्यवहार का मसला इनकी घटती संख्या के रूप में सामने आने लगा है। प्रमुख मंदिर में एक राईडर के पास मोबाईल मिलने पर गार्डों ने बखेडा खडा किया । अब शेष बचा था तो वह श्रद्धालुओं के सामने पंडितों एवं मंदिर की समिति के कर्मचारियों में विवाद होना शुरू हो गए हैं। ऐसे ही एक मामले में प्रमुख मंदिर में कर्मचारी की शिकायत पर एक प्रमुख पंडित को प्रशासक ने नोटिस धमाया है। खुसूर-फुसुर है कि मंदी के दौर में फंसे शहर में पिछले दो तीन सालों से धर्म के साथ श्रद्धालुओं की कृपा से शहर चल पडा है। इसकी व्यवसायिक गतिविधियां अभी घूटने –घूटने ही चलने लगी है और यहां जिन श्रद्धालुओं के दम पर घुटने टीके हुए हैं उन्हें ही मंदिरों में तैनात गार्ड अभद्रता से बाज नहीं आ रहे हैं। मंदिरों में पूर्व की तरह से मानसेवी अधिकारी नियुक्त किए जाने चाहिए । सेवा अधिकारी के लिए मंदिर में सेवा देने वालों को नियुक्त किया जाना चाहिए। मंदिर में अशासकीय संगठनों की सेवा ली जाना चाहिए।

 

 

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