उज्जैन। रात्रि गश्त के दौरान पुलिस की सतर्कता सामने आ रही है। माधवनगर पुलिस के गश्ती दल ने विक्रम तीर्थ सरोवर के पास से कुछ लडकों के पास से 4 कछुए मिले थे। पुलिस ने प्रारंभिक पूछताछ में लडकों के सामान्य होने और पास के सरोवर से बाहर आने की स्थिति में कछुए जब्त कर शनिवार को वन विभाग को सौंपे थे। वन विभाग ने इनका चिकित्सकीय परीक्षण करवाया है। स्वस्थ कछुए में दो नर दो मादा शामिल हैं।रविवार को इन्हें प्राकृतिक आवास में छोडा जाएगा।
शुक्रवार –शनिवार दरमियानी रात माधवनगर पुलिस का दल गश्ती पर विक्रम तीर्थ सरोवार क्षेत्र में गया था । वहां पर कुछ लडके दल को मिले थे। इनके पास ही कछुए होने की स्थिति सामने आने पर दल ने पूछताछ की तो बताया गया कि सरोवर से निकल कर ये बाहर आए हुए हैं। वर्तमान में सरोवर में पानी की स्थिति कमजोर होने से यहां से जीवों का निकलना जारी है। ऐसे में पुलिस गश्ती दल ने चारों कछुए को लेकर थाना आ गई थी। माधवनगर थाना प्रभारी राकेश भारती ने घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए बताया कि शनिवार को वन विभाग को कछुए मिलने की सूचना देने पर रेंजर के पत्र के साथ आए कर्मचारियों को कछुए सौंप दिए गए थे।
विभाग ने करवाया चिकित्सा परीक्षण-
वन विभाग के प्रभारी रेंजर रेस्क्यू मदन मौरे ने बताया कि चारों कछुए का पशु चिकित्सक डा. अरविंद मैथनिया से स्वास्थ्य परीक्षण करवाया गया है। इनमें से दो नर एवं दो मादा हैं। सभी स्वस्थ्य हैं । इन्हें प्राकृतिक आवास में छोड दिया जाएगा। वर्तमान में विक्रम तीर्थ सरोवर करीब पुरी तरह से खाली हो चुका है वहां के इस तरह के जीव बाहर आने की स्थिति है वहीं से बाहर आए होंगे।
इंडियन रूफ टरटल थे चारों-
पशु चिकित्सक डा.अरविंद मैथनिया के अनुसार वन परिक्षेत्राधिकारी के पत्र के साथ वन विभाग के दल ने संपर्क किया था और कछुओं के स्वास्थ्य परीक्षण की मांग रखी थी। चारों कछुए इंडियन रूफ्ड टरटल प्रजाति के स्वस्थ्य थे । इनमें दो मादा एवं दो नर थे। इनकी उम्र करीब 3-4 वर्ष थी। इन्हें प्राकृतिक आवास में छोडा जा सकता है। वन्य प्राणियों की आईयूसीएन में इन्हें असुरक्षित बताया गया है। डब्ल्यूपीए में ये चतुर्थ अनुसूची में शामिल हैं। ये शाकाहारी होते हैं। एक बार में 10-15 अंडे देते हैं। इनकी खोल कठोर होती है। इस प्रजाति का पृष्ठवर्म तम्बू के आकार का अंडाकार, जो पीछे के हिस्से में ज्यादा चौड़ा होता है। अधरवर्म तथा मध्य का हिस्सा, जो पृष्ठवर्म तथा अधरवर्म को जोड़ता है, पीले रंग का लम्बे काले धब्बों युक्त होता है। सर का ऊपर का हिस्सा काला होता तथा माथे पर दोनों तरफ पीले या नारंगी रंग का चंद्राकर धब्बा होता है। ये छोटी नदियां, नहर, झीलें, तथा मानवनिर्मित जलाशय, जिनका तल दलदली होता है तथा जिनमें जलीय पौधे अधिक मात्रा में होते हैं वहां अधिक निवास करते हैं । ये फरवरी मार्च में अंडे देते हैं और मई से जून में अंडों से बच्चे निकलते हैं। इनका भोजनः मुख्यतः शाकाहारी लेकिन कभी-कभी कीड़े और घोंघे भी खाते हैं। विरल अवसरों पर मुर्दाखोरी भी करते है।
