दैनिक अवंतिका उज्जैन।
अगस्त्य तारा अस्त हो गया है। इसके बाद अब मानसून का आगमन होगा और बारिश भी होगी। अगस्त्य तारा प्रमुख तारों में से एक व सबसे चमकीला तारा माना जाता है। दक्षिण दिशा में दिखाई देने वाला यह तारा धर्म के साथ वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला ने बताया कि अगस्त्य तारा पृथ्वी से लगभग 180 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। एक प्रकाश वर्ष लगभग 95 अरब किलो मीटर के बराबर होता है। सूर्य से सौ गुना बड़ा यह तारा भारत के दक्षिणी क्षितिज पर जनवरी से अप्रैल के बीच आसानी से देखा जा सकता है। इन महीनों में इस तारे के आस-पास कोई अन्य इतना चमकीला तारा नहीं होता है, जिससे इसे पहचानना आसान हो जाता है। वहीं, दक्षिणी गोलार्ध के अंटार्कटिका में यह तारा सिर के ठीक ऊपर दिखाई देता है। यह 21 मई को ही अस्त हुवा है।
ऐसे समझे तारे का बारिश से संबंध
बताया जाता है कि अगस्त्य तारा जब तक आकाश में दिखाई देता है, तब तक सूर्य और अगस्त्य तारे की किरणें पृथ्वी के दक्षिणी भाग में वाष्पीकरण को सक्रिय रखती हैं। अगस्त्य तारे के अस्त होते ही वाष्पीकरण की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और यही वह समय होता है, जब वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है। आमतौर पर हर साल मई के अंतिम सप्ताह से मानसून केरल में प्रवेश करता है और जून के अंत तक उत्तर भारत पहुंचता है। सूर्य और अगस्त्य तारे की किरणों से समुद्रों में वाष्पीकरण होता है, जिससे मेघ तैयार होते हैं। यही प्रक्रिया आगे चलकर मानसून की वर्षा में बदलती है।
अगस्त्य मुनि ने पी लिया था समुद्र
प्राचीन काल में वृत्तासुर नामक राक्षस स्वर्ग को पाने के लिए इंद्र पर हमला करथा था। लेकिन देवता उससे लड़ नहीं पाते क्योंकि उसकी सेना समुद्र के भीतर जाकर छिप जाती और रात होते ही देवताओं पर हमला करती थी। परेशान देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी तब उन्होंने देवताओं को अगस्त्य मुनि के पास भेजा। अगस्त्य मुनि ने समस्त समुद्र का जल पीकर उसे सुखा दिया। जिससे असुरों की सेना सामने आ गई और देवताओं ने असुरों का अंत कर दिया। इसी कथा के आधार पर समुद्र से होने वाले वाष्पीकरण को अगस्त्य का समुद्र पीना कहा जाता है।
अगस्त तारा 7 सितंबर को उदय होगा
7 सितंबर को अगस्त्य तारा पुनः आकाश में उदय होगा। इसके साथ ही फिर से समुद्रों में वाष्पीकरण की प्रक्रिया सक्रिय होगी, जो आगे चलकर शीतकालीन मौसम चक्र का हिस्सा बनेगी।
