दैनिक अवंतिका उज्जैन।
ज्येष्ठ मास शुरू हो गया है जो कि 10 जून तक रहेगा। यह महीना जल दान करने के लिए मुख्य माना जाता है। क्योंकि इस माह में भीषण गर्मी पड़ती है। लोग जल सेवा के लिए जगह-जगह प्याऊ खुलवाते हैं ताकि यहां से जलपान कर सके। इसी महीने में निर्जला एकादशी सहित कई पर्व भी आएंगे जो जल से संबंधित ही है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला ने बताया कि ज्येष्ठ मास में वट सावित्रि व्रत, गंगा दशहरा, जैसे बड़े व्रत एवं पर्व भी आते हैं। दरअसल यह महीना जल से संबंध रखता है। इसलिए इन दिनों में जल बचाने और जल के अपव्यय को रोकने से जुड़े कार्य किए जाते हैं। इस बार 6 जून को आएगी निर्जला एकादशी। इस माह में सूर्य को जल चढ़ाने का खासा महत्व है। इष्टदेव के मंत्रों का जप करें। शिवलिंग का ठंडे जल से अभिषेक करें। चंदन का लेप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल चढ़ाएं। भगवान को इससे ठंडक मिलती है जिससे वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
जल सेवा के लिए लगवाए प्याऊ
पक्षियों को डाल दाना-पानी
ज्येष्ठ मास में भीषण गर्मी के चलते लोग उचित स्थान पर प्याऊ खोलकर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। वहीं पक्षियों के लिए भी दाना-पानी की व्यवस्था करें। ब्राह्मणों को मिट्टी का घट, खरबूजा व दक्षिणा आदि दान करें। जरूरतमंद लोगों को अनाज, जूते-चप्पल, कपड़े व छाता भी दान कर सकते हैं। गौशाला में गायों को चारा डलवाए।
तीर्थ यात्रा भी इसी महीने
में करने का खास महत्व है
ज्येष्ठ मास में तीर्थ यात्रा करने की भी परंपरा है। इन दिनों में उत्तराखंड के चार धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के पट खुल जाते हैं। चार धामों की यात्रा कर सकते हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश जा सकते हैं। गर्मी के दिनों में की गई तीर्थ यात्रा सकारात्मकता को बढ़ाती है। इससे आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।
