सिंहस्थ लैंड पुलिंग कानून निरस्ती को लेकर नहीं हुआ आदेश जारी, भारतीय किसान संघ की 7 दिनी चेतावनी पूर्ण, प्रदेश सरकार टस से मस नहीं

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किसानों में एक ही चर्चा संघ मैदान में उतरेगा या फिर वार्ता की पहल होगी

ब्रह्मास्त्र उज्जैन

सिंहस्थ क्षेत्र में लैंड पुलिंग कानून निरस्त को लेकर भारतीय किसान संघ एवं मध्यप्रदेश सरकार के बीच तनाव बढता जा रहा है। किसान संघ ने सरकार को 7 दिन की चेतावनी देते हुए निरस्त आदेश जारी करने की मांग की थी अन्यथा बडे आंदोलन का कहा था।चेतावनी के 7 दिन बीत चुके हैं और सरकार टस से मस नहीं हैं। इसे लेकर किसानों में अब एक ही चर्चा है कि संघ आंदोलन के लिए मैदान में उतरेगा या फिर से वार्ता की पहल होगी।

सिंहस्थ क्षेत्र लैंड पुलिंग निरस्त करने को लेकर भारतीय किसान संघ ने आंदोलन छेड रखा था। 18 नवंबर से विक्रमादित्य प्रशासनिक भवन पर किसानों ने अपने आंदोलन के तहत घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन की घोषणा कर दी थी। इसके एक दिन पहले किसान संघ को भोपाल बुलाकर सरकार एवं किसान नेताओं के बीच चर्चा हुई थी। इसमें सिंहस्थ क्षेत्र लैंड पुलिंग निरस्त करने की घोषणा दोनों पक्षों ने की थी। सरकार की और से भी किसानों के सम्मान में निरस्त की घोषणा की गई थी,लेकिन दो दिन बाद योजना को लेकर संशोधन जारी किया गया था। इसे लेकर किसान संघ में खासी नाराजगी रही थी। तब से ही किसान संघ निरस्त आदेश की मांग कर रहा है।

दो बार चेतावनी,सरकार नहीं टस से मस
लैंड पुलिंग निरस्त समझौते के बाद संशोधन आदेश से किसान संघ भी अचरज में आ गया था। उसकी और से तत्कालीन स्थिति में सरकार को साफ-साफ आदेश जारी करने के लिए दो दिन का समय दिया गया था। इसके बाद भी सरकार की और से कोई पहल नहीं की गई । 3 दिसंबर को किसान संघ के प्रदेशाध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने इस पर सरकार को चेतावनी देते हुए 7 दिन का समय देते हुए दिसंबर अंतिम में बडे आंदोलन की चेतावनी दी थी। किसान संघ की दुसरी चेतावनी भी सरकार पर बेअसर साबित हुई ।

 

विधानसभा में भी उठा मसला- सिंहस्थ लैंड पुलिंग का मामला विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी उठा था। मात्र 4 दिन के सत्र में तराना के कांग्रेस विधायक महेश परमार के सवालों का जवाब देते हुए मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि मुख्यमंत्री मोहन यादव घोषणा कर चुके हैं और पत्र जल्द जारी कर दिया जाएगा। उनके जवाब पर कांग्रेस विधायक अजय सिंह ने टिप्पणी की कि किसान चिंतित हैं और प्रक्रिया की गति बहुत धीमी है। जवाब में विजयवर्गीय ने कहा था कि ह्लमुख्यमंत्री जी ने बोल दिया है तो अब क्या बचता हैह्व, यानी आदेश जल्द आ जाएगा।
तो अब बडा आंदोलन- किसान संघ के प्रदेशाध्यक्ष कमल सिंह आंजना के अनुसार हमने सरकार से समझौते अनुसार आग्रह किया था। इसके बाद भी हमारी बात को अनसूना किया गया। इसके लिए हमने 7 दिन का समय देकर सरकार को आगाह किया। अब 14 दिसंबर को मालवा प्रांत की बडी बैठक आयोजित की गई है। इसमे तहसील स्तर तक के अध्यक्ष एवं महामंत्री आएंगे। इसी बैठक में तय होगा कि आंदोलन कब होगा,उसका स्वरूप कैसा रहेगा और क्या होगा।
अनुषांगिक संगठनों में ठनी- प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और भारतीय किसान संघ के साथ उसकी सिंहस्थ लैंड पुलिंग कानून को लेकर ठनी हुई है। इनकी मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ही है। ऐसे में प्रदेश में अनुषांगिक संगठनों में ही ठनी हुई है।

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