उज्जैन। किसानों के संघर्ष के सामने अंतत: लैंड पुलिंग योजना टीडीएस 8,9,10,11 सरकार को निरस्त करना पडी । इसके आदेश जारी किए गए। इससे पूर्व पिछले एक साल में योजना का विरोध करने वाले किसानों पर बर्बरता की पराकाष्ठा को सम्मेलन एवं सम्मान समारोह में आए किसानों ने देखा तो उनके आंसू निकल गए। प्रदर्शनी में बेटे को ले जाने का विरोध करने वाली चककमेड निवासी मां का वर्दीधारियों ने मंगलसूत्र तक तोड दिया था।
सम्मेलन स्थल पर बडे फ्लेक्स पर 400 फोटो के रूप में प्रदर्शनी का अवलोकन किसान नेताओं ने किया था। इस दौरान किसान नेताओं ने बर्बरता की पराकाष्ठा निरूपित किया। कई चित्रों को देखने के बाद भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी एवं महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र रूके और उन्होंने चित्र के बारे में घटना का संपूर्ण वृतांत जाना। लैंड पुलिंग योजना के विरोध में किसानों का आंदोलन 26 दिसंबर 2024 से अस्तित्व में आया था। इसके बाद सतत रूप से यह जारी रहा। आंदोलन में 17 फरवरी 25 से भारतीय किसान संघ शामिल हुआ और अंतत: प्रदेश की सरकार ने लैंड पुलिंग योजना निरस्त आदेश जारी किया।
बेटे को बचाने आई मां का मंगलसूत्र तोडा-
लैंड पुलिंग योजना में सिंहस्थ क्षेत्र के 17 गांव के किसान विरोध में थे। उनके विरोध को दबाने के लिए हर प्रकार का हदकंडा उपयोग किया गया। अत्याचार की बानगी इसी से लगाई जा सकती है कि चककमेड निवासी पटेल परिवार में योजना का विरोध करने वाला युवक मकान में ताला लगाकर सो रहा था। इसकी जानकारी लगने पर उसे घर से उठाने के लिए कार्रवाई की गई। वर्दी के पहुंचने पर युवक की मां ने विरोध किया तो उसका मंगलसूत्र खींचकर तोड दिया गया। मातृशक्ति ने भी वर्दी के सितारे उधेड कर अपने पास सहेज लिए थे। इस घटनाक्रम से संबंधित चित्र किसान नेताओं ने प्रदर्शनी में देखे और उसकी पूरी जानकारी हासिल की।
मकान तोडने के नोटिस,एक लाख का जुर्माना-
किसान संघर्ष समिति में कई शहर के वरिष्ठजन शामिल थे। इनके विरोध को दबाने के लिए इन्हें इनके मकान तोडने के नोटिस दिए गए। यहां तक की संघर्ष समिति के एक जिम्मेदार के घर के बाहर पडे दो तगारी मटेरियल को देखकर एक लाख का जुर्माना किया गया। भैरवगढ निवासी एक नेता को नजरबंद कर दिया गया। उनके घर के सीसी टीवी कैमरा में बर्बरता का रेकार्ड अब भी दर्ज है। यहां तक की गांव में शादियों में पहुंचकर संघर्ष समिति से संबंधित किसानों को ढूंढकर खौफ फैलाया गया।
प्रदर्शनी में आकर्षण रहा विधायक का पुतला दहन-
प्रदर्शनी में किसान संघर्ष समिति के आंदोलन के दौरान कार्तिक मेला प्रांगण में विधायक का पुतला दहन किया गया था। इस पुतला दहन के बाद एक पार्षद एवं किसानों पर प्रतिबंधात्मक धारा के साथ शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धारा में कायमी की गई। मात्र बेरिकेडस के सहारे पुतले को खडा करने पर यह कायमी की गई।
जनहित पार्टी की गाडी जब्त-
किसान संघर्ष समिति के पक्ष में आवाज बुलंद करने आंदोलन में शामिल होने आए जनहित पार्टी के लोगों जिनमें कई स्वयं सेवक थे को किसानों के यहां से बेवजह ही पकडा गया। हाल यह रहे कि उनका एक वाहन इंगोरिया थाना में जब्ती बताया गया । बाद में एक वाहन न्यायालय के आदेश पर छूटा।
न अनुमति दी न रैली करने दी,डीजे जब्त-
किसान संघर्ष समिति ने 4 मार्च को ट्रेक्टर रैली का आयोजन किया था। इस दौरान शहर में ट्रेक्टर नहीं आने दिए गए। जो ट्र्रेक्टर रैली स्थल सामाजिक न्याय परिसर पहुंचे थे उन्हें भी रोका गया। किसानों को गिरफ्तार किया गया। रैली के लिए सदावल से एक किसान को डीजे जबत करते हुए देवासगेट आरक्षी केंद्र ने हिरासत में लिया।
तकरीबन हर पोस्टर के फोटो में दैनिक अवंतिका-
किसान संघर्ष के करीब 12 माह के दौरान दैनिक अवंतिका ने उनका हर घटना को हुबहु सामने रखा। किसानों की आवाज एवं बर्बरता के साथ अत्याचार और तमाम यातनाओं की कहानी को भी हुबहु दैनिक अवंतिका ने प्रकाशित किया । यही कारण रहा की किसान संघ के कार्यक्रम स्थल पर लगी पोस्टर प्रदर्शनी लगे हर फ्लैक्स के कुछ फोटो के बाद दैनिक अवंतिका भी दिखाई दिया ।
ऐसा चला घटनाक्रम-
प्रदर्शनी में इस बात को भी चित्रों से उद्धाटित किया गया कि किसानों को योजना की सुगबुगाहट लगने पर पहली बैठक 24 जनवरी 25 की गई थी। 25 जनवरी को यूडीए ने योजना की उद्घोषणा की थी। 26 जनवरी को सिंहस्थ क्षेत्र के किसानों ने एकमत से इसका विरोध कर दिया था। इसके बाद सामूहिक विरोध लिखित रूप से प्रमुख अधिकारियों के समक्ष दर्ज करवाया गया। किसानों ने आपत्ति लगाई लिखित जिसका निराकरण नहीं किया गया। 17 फरवरी 25 को बाईक रैली निकालकर भारतीय किसान संघ इस आंदोलन में सीधे तौर पर सामने आया। किसानों के शिप्रा में जल सत्याग्रह एवं आगर रोड जाम जैसे मामलों में किसानों को गिरफ्तार कर झारडा थाना ले जाया गया।
-प्रदर्शनी लगाने के पीछे किसानों को बर्बरता की पराकाष्ठा से परिचित करवाया गया। राष्ट्रीय स्तर से आए किसान नेता सत्ता की वास्तविकता से परिचित हुए। प्रदर्शनी में फ्लेक्स पर 400 चित्रों को स्थान दिया गया था। किसान आंदोलन के दौरान तमाम यातनाओं को किसानों ने सहा है।
-आशुतोष उपाध्याय,प्रवक्ता किसान संघर्ष समिति एवं सदस्य भारतीय किसान संघ,उज्जैन
संशोधित..
-लैंड पुलिंग का विरोध करने वालों पर बर्बरता की कहानी बयां करने वाली प्रदर्शनी देख किसानों के आंसू निकले
बेटे को ले जाने का विरोध करने वाली मां का मंगलसूत्र तक तोडा…
-चित्रों को देखकर किसान नेताओं ने इसे बर्बरता की पराकाष्ठा निरूपित किया
उज्जैन। किसानों के संघर्ष के सामने अंतत: लैंड पुलिंग योजना टीडीएस 8,9,10,11 सरकार को निरस्त करना पडी । इसके आदेश जारी किए गए। इससे पूर्व पिछले एक साल में योजना का विरोध करने वाले किसानों पर बर्बरता की पराकाष्ठा को सम्मेलन एवं सम्मान समारोह में आए किसानों ने देखा तो उनके आंसू निकल गए। प्रदर्शनी में बेटे को ले जाने का विरोध करने वाली चककमेड निवासी मां का वर्दीधारियों ने मंगलसूत्र तक तोड दिया था।
सम्मेलन स्थल पर बडे फ्लेक्स पर 400 फोटो के रूप में प्रदर्शनी का अवलोकन किसान नेताओं ने किया था। इस दौरान किसान नेताओं ने बर्बरता की पराकाष्ठा निरूपित किया। कई चित्रों को देखने के बाद भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी एवं महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र रूके और उन्होंने चित्र के बारे में घटना का संपूर्ण वृतांत जाना। लैंड पुलिंग योजना के विरोध में किसानों का आंदोलन 26 दिसंबर 2024 से अस्तित्व में आया था। इसके बाद सतत रूप से यह जारी रहा। आंदोलन में 17 फरवरी 25 से भारतीय किसान संघ शामिल हुआ और अंतत: प्रदेश की सरकार ने लैंड पुलिंग योजना निरस्त आदेश जारी किया।
बेटे को बचाने आई मां का मंगलसूत्र तोडा-
लैंड पुलिंग योजना में सिंहस्थ क्षेत्र के 17 गांव के किसान विरोध में थे। उनके विरोध को दबाने के लिए हर प्रकार का हदकंडा उपयोग किया गया। अत्याचार की बानगी इसी से लगाई जा सकती है कि चककमेड निवासी पटेल परिवार में योजना का विरोध करने वाला युवक मकान में ताला लगाकर सो रहा था। इसकी जानकारी लगने पर उसे घर से उठाने के लिए कार्रवाई की गई। वर्दी के पहुंचने पर युवक की मां ने विरोध किया तो उसका मंगलसूत्र खींचकर तोड दिया गया। मातृशक्ति ने भी वर्दी के सितारे उधेड कर अपने पास सहेज लिए थे। इस घटनाक्रम से संबंधित चित्र किसान नेताओं ने प्रदर्शनी में देखे और उसकी पूरी जानकारी हासिल की।
मकान तोडने के नोटिस,एक लाख का जुर्माना-
किसान संघर्ष समिति में कई शहर के वरिष्ठजन शामिल थे। इनके विरोध को दबाने के लिए इन्हें इनके मकान तोडने के नोटिस दिए गए। यहां तक की संघर्ष समिति के एक जिम्मेदार के घर के बाहर पडे दो तगारी मटेरियल को देखकर एक लाख का जुर्माना किया गया। भैरवगढ निवासी एक नेता को नजरबंद कर दिया गया। उनके घर के सीसी टीवी कैमरा में बर्बरता का रेकार्ड अब भी दर्ज है। यहां तक की गांव में शादियों में पहुंचकर संघर्ष समिति से संबंधित किसानों को ढूंढकर खौफ फैलाया गया।
प्रदर्शनी में आकर्षण रहा विधायक का पुतला दहन-
प्रदर्शनी में किसान संघर्ष समिति के आंदोलन के दौरान कार्तिक मेला प्रांगण में विधायक का पुतला दहन किया गया था। इस पुतला दहन के बाद एक पार्षद एवं किसानों पर प्रतिबंधात्मक धारा के साथ शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धारा में कायमी की गई। मात्र बेरिकेडस के सहारे पुतले को खडा करने पर यह कायमी की गई।
जनहित पार्टी की गाडी जब्त-
किसान संघर्ष समिति के पक्ष में आवाज बुलंद करने आंदोलन में शामिल होने आए जनहित पार्टी के लोगों जिनमें कई स्वयं सेवक थे को किसानों के यहां से बेवजह ही पकडा गया। हाल यह रहे कि उनका एक वाहन इंगोरिया थाना में जब्ती बताया गया । बाद में एक वाहन न्यायालय के आदेश पर छूटा।
न अनुमति दी न रैली करने दी,डीजे जब्त-
किसान संघर्ष समिति ने 4 मार्च को ट्रेक्टर रैली का आयोजन किया था। इस दौरान शहर में ट्रेक्टर नहीं आने दिए गए। जो ट्र्रेक्टर रैली स्थल सामाजिक न्याय परिसर पहुंचे थे उन्हें भी रोका गया। किसानों को गिरफ्तार किया गया। रैली के लिए सदावल से एक किसान को डीजे जबत करते हुए देवासगेट आरक्षी केंद्र ने हिरासत में लिया।
तकरीबन हर पोस्टर के फोटो में दैनिक अवंतिका-
किसान संघर्ष के करीब 12 माह के दौरान दैनिक अवंतिका ने उनका हर घटना को हुबहु सामने रखा। किसानों की आवाज एवं बर्बरता के साथ अत्याचार और तमाम यातनाओं की कहानी को भी हुबहु दैनिक अवंतिका ने प्रकाशित किया । यही कारण रहा की किसान संघ के कार्यक्रम स्थल पर लगी पोस्टर प्रदर्शनी लगे हर फ्लैक्स के कुछ फोटो के बाद दैनिक अवंतिका भी दिखाई दिया ।
ऐसा चला घटनाक्रम-
प्रदर्शनी में इस बात को भी चित्रों से उद्धाटित किया गया कि किसानों को योजना की सुगबुगाहट लगने पर पहली बैठक 24 जनवरी 25 की गई थी। 25 जनवरी को यूडीए ने योजना की उद्घोषणा की थी। 26 जनवरी को सिंहस्थ क्षेत्र के किसानों ने एकमत से इसका विरोध कर दिया था। इसके बाद सामूहिक विरोध लिखित रूप से प्रमुख अधिकारियों के समक्ष दर्ज करवाया गया। किसानों ने आपत्ति लगाई लिखित जिसका निराकरण नहीं किया गया। 17 फरवरी 25 को बाईक रैली निकालकर भारतीय किसान संघ इस आंदोलन में सीधे तौर पर सामने आया। किसानों के शिप्रा में जल सत्याग्रह एवं आगर रोड जाम जैसे मामलों में किसानों को गिरफ्तार कर झारडा थाना ले जाया गया।
-प्रदर्शनी लगाने के पीछे किसानों को बर्बरता की पराकाष्ठा से परिचित करवाया गया। राष्ट्रीय स्तर से आए किसान नेता सत्ता की वास्तविकता से परिचित हुए। प्रदर्शनी में फ्लेक्स पर 400 चित्रों को स्थान दिया गया था। किसान आंदोलन के दौरान तमाम यातनाओं को किसानों ने सहा है।
-आशुतोष उपाध्याय,प्रवक्ता किसान संघर्ष समिति एवं सदस्य भारतीय किसान संघ,उज्जैन
