लापरवाही के चलते विफल हो रहे कुपोषण मिटाने के प्रयास

उज्जैन में भी बढ़ा बौने बच्चों की संख्या का प्रतिशत

ब्रह्मास्त्र उज्जैन

 

सूबे की सरकार द्वारा भले ही उज्जैन सहित पूरे प्रदेश में कुपोषण मिटाने के भरसक प्रयास कर रही हो लेकिन ये प्रयास सिस्टम की लापरवाही के चलते विफल हो रहे है। जो आंकड़े सामने आ रहे है उसके अनुसार उज्जैन जिले में जहां कुपोषण की स्थिति अधिक खराब हुई है तो वहीं बौने बच्चों के आंकड़ो का प्रतिशत भी कुछ हद तक बढ़ गया है।

उज्जैन जिले सहित पूरे प्रदेश में इस साल मार्च में बौने बच्चों का प्रतिशत 40 से बढकर 41 हो गया। इन आंकड़ों से साफ है कि प्रदेश में 0-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों में कुपोषण पिछले साल की तुलना में बढ़ा है। मध्यप्रदेश कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में नाकाम साबित हो रहा है। साल 2024 में कुपोषण के मामले में देश में पहले नंबर था। लेकिन सुधार नहीं हुआ। केन्द्र सरकार की वर्ष 2025 के पहली तिमाही के आंकड़े सरकार के प्रयासों के दावों की सच्चाई बयां कर रहे हैं। कम वजन के बच्चों की संख्या में बीते साल की तुलना में दो फीसदी अधिक है।

पोषण ट्रैकर ऐप के अनुसार, मार्च 2024 में प्रदेश में कम वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 23 था, जो इस साल मार्च 2025 में बढकर 25 प्रतिशत हो गया। इसी तरह बौने बच्चों की संख्या में 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रदेश में इस साल मार्च में बौने बच्चों का प्रतिशत 40 से बढकर 41 हो गया। इसमें उज्जैन जिला भी शामिल है। इन आंकड़ों से साफ है कि प्रदेश में 0-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों में कुपोषण पिछले साल की तुलना में बढ़ा है।

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