ब्रह्मास्त्र उज्जैन
पीड़ित पक्ष हो या आरोपित, उन्हें डर दिखाकर पुलिसकर्मी रुपये ऐंठ ले रहे हैं। पूरे प्रदेश के साथ ही उज्जैन जिले में भी ऐसे कई मामले इस वर्ष सामने आ चुके हैं, जिनमें लोकायुक्त पुलिस और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की ट्रेप कार्रवाई पुलिसवालों पर न के बराबर ही हो पा रही है।
सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आरोपित पक्ष तो दूर पीड़ित पक्ष भी पुलिस के डर से जांच एजेंसियों को शिकायत करने से बचता है। ऐसे में पुलिस को खुद अपना इंटेलिजेंस नेटवर्क मजबूत कर कार्रवाई करनी चाहिए। दोनों जांच एजेंसियों द्वारा किसी न किसी विभाग का औसतन एक कर्मचारी हर दिन रिश्वत लेते पकड़ा जा रहा है, लेकिन पुलिस के नाम मात्र के ही हैं। गौरतलब यह है कि पुलिस आयुक्त व्यवस्था वाले इंदौर और भोपाल शहर में घूसखोरी के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें रिश्वत की राशि भी एक लाख से अधिक रही।
लोकायुक्त पुलिस के ही कुछ पूर्व आला अधिकारी यह स्वीकार करते है कि पुलिस वालों की शिकायतें करने से लोग डरते हैं। उन्हें लगता है कि किसी अधिकारी से शिकायत की तो पुलिसकर्मी पर कार्रवाई नहीं होगी, उल्टा उसे परेशान किया जाएगा। इसी कारण जांच एजेंसियों के पास शिकायत नहीं पहुंचती और पुलिसकर्मी बचे रह जाते हैं। ऐसे में भ्रष्टाचार खत्म करना है तो बहुत जरूरी है कि पुलिस सबसे पहले अपना इंटेलिजेंस नेटवर्क मजबूत करें, जिससे रिश्वतखोरों को पकड़ा जा सके। सरकार का पहला काम प्रबंधन है, जिसमें कानून-व्यवस्था का पालन और भ्रष्टाचार रोकना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
