ब्रह्मास्त्र उज्जैन/कानड़
प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा में सब कुछ ठीक तो नही चल रहा है। जमीनी स्तर का कार्यकर्ता भी अपनी सुनवाई न होने के कारण स्वयं को अपमानित सा महसूस कर रहा है। जमीनी कार्यकर्ता को आम जनता के बीच ही दिन रात रहना होता है ऐसे मे स्थानीय रहवासी जमीनी कार्यकर्ता से ही उम्मीद बांधे रहते हैं। जब जनता के काम नही हो पाते तो जमीनी कार्यकर्ता से ही आम जन प्रश्न करता है और उसकी साख पर बट्टा लग जाता है। प्रदेश का जमीनी कार्यकर्ता अपनी सरकार होने पर भी काम नही होने पर स्वयं को अपमानित महसूस करता नजर आ रहा है। छोटे से कस्बे कानड में एक असंतोष देखने को मिला जब विगत दिवस स्थानीय पार्षद स्तर के एक वरिष्ठ भाजपा नेता कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी की कार मे बैठ गुफ्तगू करते रहे। विगत दिनो जीतू पटवारी आगर जिले के नलखेडा मां बगलामुखी दर्शन को आए तो कानड़ होते हुए इंदौर जा रहे थे। इसी समय इकलेरा जोड़ से खाकरी तक ये वरिष्ठ भाजपा नेता कार में पटवारी के साथ ही रहे। वर्तमान में कानड़ नगर परिषद में भाजपा काबिज है और खेल बड़ा ही कशमकश का चल रहा है। परिषद में भाजपा के सात सदस्य हैं और कांग्रेस के छ: सदस्य है, एक निर्दलीय सदस्य हैं।
गणित बिगड़ सकता है
पटवारी के साथ भाजपा नेता की मेल मुलाकात से कयास ये लगाए जा रहे हैं कि कानड़ मे सब कुछ ठीक तो नही चल रहा है। असंतोष के चलते आशंका है कि नगर परिषद का गणित बिगड़ सकता है और भाजपा बोर्ड की जगह कांग्रेस का बोर्ड भविष्य मे देखने को मिल सकता है। ये बानगी सिर्फ एक कस्बे कानड़ की है। ऐसा ही असंतोष चंबल ग्वालियर बेल्ट में भी देखा जा रहा है जहां वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्रसिंह तोमर के बीच जमकर रस्साकशी चल रही है। स्थानीय स्तर के एक बड़े नेता ने दबी जुबान से बताया कि नरेन्द्रसिंह तोमर इस इलाके मे अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए सिंधिया की जडेÞ काटने में लगे हैं जिसे सिंधिया समझ चुके हैं। ऐसे मे दो कद्दावर नेताओं का मल्लयुद्ध भविष्य में प्रदेश में क्या उठा पटक की स्थिति निर्मित करेगा ये तो आनेवाला समय ही बताएगा किन्तु सत्ताधारी भाजपा के लिए एक खतरे का अलार्म तो बज ही चुका है। समय रहते यदि संगठन इन दो नेताओं मे सामंजस्य नहीं बैठा पाया तो भाजपा मे बडेÞ स्तर पर उठापटक हो सकती है और ऐसे मे भाजपा को गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकते हैं। भाजपा की अंदरूनी छटपटाहट यदि दावानल बन जाए तो ये प्रदेश भाजपा मुखिया के कमजोर नेतृत्व व असफलता की इबारत लिख देगा।
