उज्जैन। नलकूप खनन पर जिला प्रशासन ने प्रतिबंध लगा रखा है । इसे अनुमति के साथ ही खनन करने दिया जा रहा है।ग्रामीण क्षेत्र में अनुमति थोडी सी मशक्कत के साथ मिल रही है लेकिन शहरी क्षेत्र में इस अनुमति के नाम पर खनन करवाने वाले की जेब में 2-3 हजार रूपए का गढ्डा किया जा रहा है।नलकूप खनन पर प्रतिबंध का खेल इस वर्ष भी जारी है। एक बार फिर नलकूप खनन पर प्रतिबंध के साथ ही खनन करवाने वाले को इसका खामियाजा भूगतना पड रहा है। इसके लिए उसे बेवजह ही शहरी क्षेत्र में प्रोसेस एवं उपरी खर्च के नाम पर 2-3 हजार रूपए की चपत लग रही है। ग्रामीण क्षेत्र में तो सामान्य आवेदन एवं चाय पानी के खर्च में ही यह काम हो रहा है लेकिन शहरी क्षेत्र में इसके लिए खनन एजेंट 2-3 हजार की राशि उपर से लेकर ही काम को अंजाम दे रहे हैं। इसमें अनुमति भी लाकर दी जा रही है और शहरी क्षेत्र में पीएचई की जांच रिपोर्ट भी आवेदन में लग रही है।भूजल संरक्षण के लिए अशासकीय और निजी नलकूप खनन पर 30 जून तक प्रतिबंध लगाया गया है।पेयजल के नाम पर अनुमति-इस बार बरसात अधिक नहीं होने से नीचे जा रहे जलस्तर के चलते खेतों में ज्यादा खनन हो रहे है। प्रतिबंध को लेकर सीधा था मतलब है कि जिले में कोई भी व्यक्ति प्रशासनिक अनुमति के बिना खड़े होल मशीन से बोरवेल नहीं करा सकता है। केवल पेयजल की आवश्यकता के लिए विशेष परिस्थितियों में ही अनुमति दी जाती है।ये है प्रोसेस-नलकूप खनन के लिए शहरी क्षेत्र में एसडीएम के यहां प्रोफार्मा पर आवेदन के साथ दस्तावेजों को संलग्न किया जाना है। आवेदन को एसडीएम कार्यालय से पीएचई जांच के लिए भेजा जाता है। वहां से जांच रिपोर्ट मिलने पर अनुमति जारी की जाती है। खास बात तो यह है कि जिन मामलों में खनन एजेंट शामिल होते हैं और आवेदनकर्ता की जेब में गड्ढा किया जा चुका होता है उन मामलों में अधिकतम 7 दिन में अनुमति मिल जाती है। पीएचई की जांच के लिए रसीद भी इसमें शामिल है। जिन मामलों में आवेदक स्वयं प्रोसेस पूरा कर रहा है उन मामलों में एक माह बाद भी अनुमति मिलने में टंटा चल रहा है। इसकी अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम के यहां आवेदन होने पर तहसीलदार एवं पटवारी से रिपोर्ट मंगवाकर अनुमति जारी की जा रही है।दोनों पक्षों को नहला रहे एजेंट-इधर सामने आ रहा है कि नलकूप खनन करने वाली मशीनों के एजेंट खनन करवाने वाले आवेदक एवं प्रशासनिक स्तर दोनों को ही चुना लगाने में लगे हुए हैं। अधिकांश मामलों में एजेंट ही अनुमति का ठेका ले रहे हैं और शुरूआत में ही आवेदक की जेब में 2-3 हजार का गड्ढा करते हुए अनुमति ले रहे हैं। इसमें खास बात यह है कि अनुमति के 8 दिनों में नलकूप खनन आवश्यक है। एक ही अनुमति पर एक ही क्षेत्र में 4-5 खनन अंजाम दिए जा रहे हैं।दर डेढी हुई-जिले के लगभग हर तहसील में तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों से आई नलकूप खनन की गाड़ियां एक निश्चित एजेंट संचालित करवाते हैं। पानी की आपदा को लेकर इसे अवसर में तब्दील कर लिया गया है। गैर प्रतिबंध समय में जिले में 80 से 90 रुपये फीट में खनन किया जा रहा था। प्रतिबंध के बाद अब 140 से 160 रुपये फीट तक वसूले जा रहे हैं।सजा का भी है प्रावधान…मध्य प्रदेश पेयजल परीक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3 (संशोधित अधिनियम 2002) के तहत प्रतिबंध का आदेश जारी किया गया है। इस दौरान कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति के नलकूप नहीं खोद सकेगा। नियम का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। दोषी को 2000 रुपए का जुर्माना या 2 साल तक की जैल की सजा या फिर दोनों सजाएं दी जा सकती हैं। हालांकि यह प्रतिबंध सरकारी योजनाओं के तहत होने वाले नलकूप खनन पर लागू नहीं होगा। सरकारी योजनाओं के लिए अलग से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।
