उज्जैन- भोपाल। मप्र सरकार ने नगरीय निकायों के मामले में अहम फैसला लिया है और नगर पालिका (संशोधन) अध्यादेश-2025 लागू कर दिया है। इस अध्यादेश के लागू होने के साथ ही अब नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना मुश्किल होगा।
जानकारों का कहना है कि इस अध्यादेश के जरिए सरकार ने एक तरफ जहां पार्षदों के पर कतर दिए, वहीं नगर पालिका और परिषद अध्यक्षों की कुर्सी पर मंडरा रहे संकट को टाल दिया है। बचे हुए कार्यकाल में वे पार्षदों के दबाव में आए बगैर काम कर सकेंगे। साथ ही यह अध्यादेश लागू होने के बाद अब सरकार और भाजपा संगठन को भी बार-बार अपने नगर पालिका व परिषद अध्यक्षों की कुर्सी बचाने के लिए कवायद नहीं करना पड़ेगी। यही वजह है कि मप्र नगर पालिका (संशोधन) अध्यादेश-2025 को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के दूसरे ही दिन ही सरकार ने इसे लागू कर दिया है। गौरतलब है कि पिछले साल कई अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।
तीन चौथाई पार्षदों को अविश्वास प्रस्ताव लाना होगा
सरकार ने मप्र नगर पालिका (संशोधन) अध्यादेश-2025 तैयार कर अगला नगर पालिका व परिषद अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का निर्णय ले लिया। कैबिनेट से इस अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू कर दिया। अब नगर पालिका और परिषद अध्यक्ष को पद से हटाना आसान नहीं होगा। अध्यादेश में किए गए प्रावधान के अनुसार नगर पालिका और परिषद अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए तीन चौथाई पार्षदों को अविश्वास प्रस्ताव लाना होगा। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग खाली कुर्सी-भरी कुर्सी चुनाव कराएगा। इसमें जनता ही यह निर्णय लेगी की अध्यक्ष पद पर रहेंगे या हटेंगे। अगस्त, 2024 से पहले दो साल की अवधि पूरी होने पर अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता था, यह पार्षदों के दो तिहाई बहुमत से स्वीकार होता था। अगस्त, 2024 से तीन साल की अवधि के बाद अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता था, इसके लिए पार्षदों का तीन चौथाई बहुमत होना जरूरी था। 10 सितंबर, 2025 से अध्यक्ष के खिलाफ तीन चौथाई पार्षद अविश्वास प्रस्ताव ला सकेंगे, अविश्वास प्रस्ताव पर खाली कुर्सी-भरी कुर्सी चुनाव होगा, इसमें अध्यक्ष पद पर रहेंगे या नहीं यह निर्णय जनता लेगी।
