उज्जैन। पूरे प्रदेश के साथ ही उज्जैन जिले में भी स्थाई कर्मी, दैनिक वेतन भोगी, अंशकालीन कर्मचारी एवं श्रमिक वित्त विभाग द्वारा जारी किए गए पद समाप्त करने वाले ताजे आदेश के विरोध में कर्मचाारी संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि सरकार ने चुपचाप मंत्री परिषद में निर्णय लेकर स्थाई कर्मियों के पदों को सांख्येत्तर घोषित करके बंधुआ मजदूर बना दिया गया है। दैनिक वेतन भोगियों के पद समाप्त कर इन्हें अधिकार विहीन कर दिया है। अंशकालीन सहित अन्य निचले संवर्गों के डेढ़ लाख पद समाप्त किए गए है। इससे डेढ लाख कर्मचारियों को अधिकार विहीन कर दिया है।
गौरतलब है कि मोहन कैबिनेट में कर्मचारियों की श्रेणी तय किए जाने के बाद वित्त विभाग ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। इसमें आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति निजी एजेंसियों के माध्यम से की जाएगी और इनके लिए कोई पद सृजित नहीं माना जाएगा। आउटसोर्स सेवाएं मार्च 2027 तक चरणबद्ध रूप से समाप्त कर नियमित भर्ती की जाएगी। इधर आउटसोर्सिंग को लेकर सरकार के फैसले के बाद अब इसका विरोध भी शुरू हो गया है और आउटसोर्स अधिकारी, कर्मचारी आंदोलन की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। कैबिनेट के फैसले के बाद वित्त विभाग द्वारा राज्य शासन के विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों की श्रेणियों को लेकर नए नियम एवं दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। शासन ने स्पष्ट किया है कि संविदा पदों पर नियुक्ति केवल निर्धारित अवधि के लिए होगी तथा इन पर अनुशासनात्मक कार्यवाही एवं सेवा समाप्ति संबंधी नियम लागू होंगे। आउटसोर्स कर्मियों की नियुक्ति निजी एजेंसियों के माध्यम से की जाएगी और इनके लिए कोई पद सृजित नहीं माना जाएगा। आउटसोर्स सेवाएं मार्च 2027 तक चरणबद्ध रूप से समाप्त कर नियमित भर्ती की जाएगी। राज्य शासन के विभिन्न विभागों में अंशकालीन, सफाई कर्मी, माली, चौकीदार आदि कर्मियों को आवश्यकता अनुसार निर्धारित मानदेय का भुगतान किया जाएगा। इनका पारिश्रमिक बजट की उद्देश्य शीषर्षों से वहन किया जाएगा। वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश के बाद कर्मचारी संघों ने भी अपना पक्ष रखा है।
